नई दिल्ली: कृषि क़ानूनों (Agriculture Bill) को लेकर किसानों (Farmers) का चल रहा आंदोलन (Protest) आज 16वे दिन में प्रवेश कर गया है। एक ओर सरकार (Government) जहां किसानों को मनाने और आंदोलन ख़त्म करने के लिए कानून में संबोधन का प्रस्ताव भेज रही हैं, वहीं किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। इसी बीच ख़ुफ़िया विभाग (Intelligence department) ने बड़ी ख़बर दी है। जिसके तहत नागरिकता कानून (Citizenship law) के तर्ज पर किसानों को भड़काकर हिंसा कराने का प्लान तैयार किया जारहा है।
लेफ्ट और चरमपंथी नेताओं ने किया हाईजैक
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ख़ुफ़िया विभाग ने सरकार को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें कहा गया है कि किसान आंदोलन को लेफ्ट समर्थित और चरमपंथी नेताओं ने अपने काबू में कर लिया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ये लोग नागरिकता कानून के तर्ज पर किसानों को भड़काकर आगजनी, हिंसा और सरकारी संपत्ति को जलाने और नुकसान पहुंचाने का प्लान तैयार किया गया है।
क्या है मामला?
दरअसल, पिछले दिनों किसान आंदोलन के दौरान टिकरी बॉर्डर पर दिल्ली दंगों और भीमा कोरेगांव हिंसा के दोषियों के समर्थन में बैनर और पोस्टर लगाए गए। इन बैनरों में सभी की रिहाई की मांग की गई। लगाए पोस्टरों में दिल्ली दंगों के दोषी शरजील इमाम, उमर ख़ालिद, मस्त जाहास, मिराज हैदर सहित अन्य के नाम शामिल है। इसी के साथ 2018 में हुए भीमा कोरेगांव हिंसा के दोषियों वरवर राव, गौतम नवलखा, सुरेंद्र गाडलिंग, प्रोफ़ेसर साई बाबा सहित अन्य शामिल है।
इन पोस्टरों को भारतीय किसान यूनियन एकता ने आंदोलन स्थल में लगाए हैं। पोस्टरों में सभी की रिहाई की मांग करते हुए कहा, “झूठे आरोपों में गिरफ्तार किए गए बुद्धिजीवी और छात्रों को तुरंत रिहा किया जाए।”
टुकड़े-टुकड़े गैंग आंदोलन में घुसा
टुकड़े-टुकड़े गैंग आंदोलन को काबू करने में लगा है। यह घटना बेहद भयावह है। इन लोगों के वजह से किसानों और सरकार के बीच इतने दौर की बातचीत के बाद भी आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है।
रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय कानून मंत्री
यह किसान आंदोलन नहीं
किसानों का मुद्दा एपीएमसी और एमएसपी हो सकता है। लेकिन देश विरोधी और हिंसा फ़ैलाने वालों का पोस्टर लगाना का क्या मतलब। यह किसान आंदोलन तो नहीं हो सकता।
नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि मंत्री