5000 वर्षों से ताजगी का पर्याय चाय

  • क्या कहती है खोज से जुड़ी कहानी

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चाय की खोज करने के लिए वैज्ञानिकों की जरूरत नहीं थी, बल्कि इतिहास में एक ऐसी घटना का जिक्र है, जो बताती है कि चाय की खोज अचानक हो गई थी. कहा जाता है कि आज से करीब 5000 साल पहले चीन में सम्राट शेन नुग्न की बादशाहत थी. वे खुद को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना खाली पेट गर्म पानी पीते थे. यह पानी वे सुबह टहलने के बाद अपने उद्यान में बैठकर पीते थे. एक दिन वे रोजाना की तरह टहलकर वापस आए और कुर्सी पर बैठे. 

खानसामे ने उनके लिए गर्म पानी का गिलास लाकर रखा. सम्राट अपने अन्य साथियों के साथ चर्चा में व्यस्त थे कि तभी गर्म पानी में पास की झाड़ी की कुछ पत्तियां आकर गिर गईं, जिससे पानी का रंग बदल गया और उसमें खुशबू आने लगी. सम्राट वह पानी पीना चाहते थे, पर दरबारियों ने कहा कि यह जहरीली पत्तियां भी हो सकती हैं. लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी और वह पानी पी लिया. पानी पीकर उन्हें ताजगी महसूस हुई. 

सम्राट ने महल के सभी खानसामों को बुलाकर उन पत्तियों की तलाश करवाई. साथ ही आदेश दिया कि अब रोज उन्हें इन्हीं पत्तियों का उबला हुआ पानी दिया जाए. तब से न केवल सम्राट, बल्कि अन्य दरबारी भी उस पेय की पीने लगे. धीरे-धीरे यह चीन की आम जनता का पसंदीदा पेय बन गया. चीन आपने देश में आने वाले विदेशियों का स्वागत इसी पेय के साथ करता था. हालांकि, वहां के निवासियों को सख्त हिदायत थी कि वे इस रेसिपी को किसी दूसरे के साथ शेयर नहीं करेंगे. यही कारण रहा कि वर्षों तक दुनिया के बाकी हिस्सों में चाय की खोज की भनक तक नहीं लगी.

ग्रीन टी (Green tea)

आम तौर पर चाय की पत्तियों को चुना जाता है, फिर सुखाया जाता है, जिसके कारण ऑक्सीकरण होता है. लेकिन जब हरी चाय निर्मित की जाती है तो उसे ऑक्सीडाइज नहीं होने दिया जाता है, उन्हें जल्दी सुखाकर और बचाकर रखा जाता है. इस प्रक्रिया में पोलीफेनॉल्स कैटेचिन्स और फ्लेवनॉइड्स बच जाते हैं जो हरी चाय को एक स्वस्थ पेय बनाने में मदद करते हैं. हरी चाय के लाभ इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण में हैं जो कैंसर को रोकने में मदद करते हैं, चयापचय दर बढ़ाते हैं, वसा को कम करते हैं और हृदय रोग की संभावना को कम करते  हैं.

काली चाय (Black tea)

यह किसी भी अन्य चाय की तुलना में तेज और कड़क चाय है. इसमें उच्च कैफीन रहता है और दुनिया में इसकी अधिकतम बिक्री होती है. चीनी के बिना सादी काली चाय पीने से एंटीऑक्सीडेंट बनता है और हृदय रोगों को कम करने में लाभकारी है.

सफेद चाय (White tea)

यह चाय की नायाब किस्म है. इसकी पत्तियों की कलियों के पूरी तरह से खुलने और उसके ऊपर सफेद बाल आने से पहले इसकी पत्तियों को चुना और काटा जाता है. यह चाय कम से कम प्रोसेसिंग से होकर गुजरती है और यह फर्मनेटेड भी नहीं है. यह चाय जायके में हलकी होती है और इसमें कम कैफीन और अधिक एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं.

हर्बल चाय (Herbal tea)

पुष्टिकर जोशांदा या क्वाथ एक हर्बल अर्क है, जो सूखे और ताजा फूलों, जड़ों व बीज अथवा पत्तों के संयंत्र के भाग से बनती है. इसको स्वादिष्ट और सुगंधित चाय के तौर पर चीन की जास्मिन चाय के साथ जोड़कर तैयार किया जा सकता है. विभिन्न औषधीय प्रयोजनों के लिए हर्बल चाय का सेवन किया जाता है.

ओलोंग चाय (Oolong tea)

यह चीन में उत्पन्न होती है और काली व हरी चाय के बीच में इसे माना जाता है. इसका स्वाद अन्य चाय से काफी अलग है. कमाल की बात यह है कि ओलोंग चाय एक विशेष प्रकार के बर्तन गैवां में पीसकर बनती है .

दुनिया में चाय की 3 मुख्य किस्में हैं – इंडियन टी, चाइनीज टी और हाइब्रिड टी. इन चाय की किस्मों से ही चाय के विभिन्न प्रकार जैसे हरी चाय, सफेद चाय, हर्बल चाय आदि उत्पादित होते हैं.  

कैसा रहा भारत में सफरनामा  

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की शुरुआत होने के साथ ही अंग्रेजों ने यहां के आम लोगों के खानपान पर अध्ययन भी शुरू कर दिया. इसी बीच उन्हें पता चला कि असम के लोग एक काले रंग का पेय पीते हैं, जो उन्हें ताजगी देता है. जब अंग्रेज अधिकारियों ने उस पेय की जांच की, तो पाया कि यह जंगली चाय की पत्तियां हैं. अंग्रेजों के लिए असम की चाय किसी खजाने से कम नहीं थी. 

भारत में चाय होने की सबसे पहली खबर 1834 में गवर्नर लॉर्ड विलियम बैंटिक को मिली थी. उन्होंने इस काले पेय के बारे में ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों को बताया और फिर एक टीम लेकर असम पहुंचे, जहां आम नागरिकों की मदद से चाय के पौधे की तलाश कर ही ली.

एक साल मेहनत करने के बाद उन्होंने 1835 में असम के अंदर चाय का पहला बाग लगाया. इस तरह अंग्रेजों ने चाय के बागानों को विस्तार दिया. असम से होते हुए दार्जिलिंग और फिर दक्षिण भारत में चाय की पैदावार शुरू हुई. असल मायनों में अंग्रेजों ने भारतीय चाय को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया. धीरे-धीरे पूरी दुनिया में भारत की चाय की तारीफ होने लगी.