राजस्थान की जसोदा को मिलेगा ‘अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार’, अब तक 4 बाल विवाह होने रोके

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भारत के राजस्थान राज्य की एक बेटी का नामांकन अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए हुआ है। ओसियां के भैरूसागर गांव की रहने वाली 15 वर्षीय जसोदा प्रजापत को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार नीदरलैंड की किड्स राइटस् संस्था द्वारा दिया जाता है।वर्ष 2013 में यह पुरस्कार पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई और 2019 में स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग को भी मिला था।

इस वर्ष भारत से 17 बच्चों को इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। इनमें राजस्थान से दो बच्चे हैं। पहली जसोदा प्रजापत और दूसरी बच्ची टोंक के दारदा तुर्क गांव की वसुंधरा हैं। इस वर्ष 42 देशों से 142 बच्चों को नामांकित किया गया है। पुरस्कार की घोषणा 13 नवंबर को होगी।

‘सेव द चिल्ड्रन’ के सीईओ सुदर्शन सूचि के अनुसार जसोदा चार बाल विवाह रुकवाने का काम कर चुकी हैं। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में बाल अधिकारों को लेकर भी कई उल्लेखनीय काम भी किए हैं। वह उरमूल ट्रस्ट के साथ जीवन कौशल शिक्षा सत्रों के माध्यम से 130 से अधिक लड़कियों को प्रशिक्षित भी कर चुकी हैं। 

जसोदा प्रजापत ने कई अभियानों का नेतृत्व भी किया है। जसोदा ने पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर लड़कियों की मांग को अधिकारियों को अवगत भी कराया है। उन्हें ग्राम पंचायत स्तर की लड़कियों के महासंघ के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया है, जिसके बाद में स्वास्थ्य सचिव भी बनाया गया। उन्होंने 30 जनवरी से 1 फ़रवरी 2019 तक नई दिल्ली में समावेशी राष्ट्रीय बाल संसद में भी भाग लिया। जसोदा को बाल संसद की स्वास्थ्य मंत्री भी चुना गया था। 

किसान परिवार की बेटी-
सेव द चिल्ड्रन के शादी बच्चों का खेल नहीं परियोजना के समन्वयक नीरज जुनेजा ने बताया कि जसोदा एक किसान परिवार की लड़की है। उनके माता पिता खेती का कार्य करते हैं। जसोदा के माता पिता ने उन्हें सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता लाने और अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेने की छूट दी थी।

हमेशा से कुरीतियाें के खिलाफ रहीं-
जसोदा के अनुसार कई परिवारों में आज भी मासिक धर्म स्वास्थ्य, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों पर चर्चा नहीं की जाती है। साथ ही कई पाबंदियों का भी सामना करना पड़ता है। पढाई के दौरान जसोदा ने गांव में उरमूल ट्रस्ट से शादी बच्चों का खेल नहीं क्लस्टर कार्डिनेटर संतोष ज्याणी के संपर्क में आई और जल्दी ही चिल्ड्रन्स ग्रुप की मेंबर भी बन गई। इस ग्रुप से जुड़ने के बाद जसोदा ने 4 लड़कियों का बाल विवाह भी रुकवाया है। जसोदा को अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित करना पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।