भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक में शनिवार को मध्यप्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल 2020 (Freedom of Religion Bill 2020) को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने कहा “हम मध्य प्रदेश में जबरन धर्मांतरण की अनुमति नहीं देंगे। नए बिल के तहत, जो कोई भी ऐसा करता है उसे 10 साल तक की जेल की सजा और न्यूनतम 50,000 रुपये का जुर्माना होगा। कई घटनाएं सामने आईं जहां नाबालिग लड़कियों को धर्मांतरित किया गया, शादी की गई और उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कहा गया।”
We won't allow forced conversions in Madhya Pradesh. Under new bill, anyone who does it will face jail term up to 10 yrs & minimum Rs 50,000 fine. Many incidents came to light where minor girls were converted, married & made to contest Panchayat polls: MP CM Shivraj Singh Chouhan https://t.co/yYErFH85fH pic.twitter.com/5dcUVBXYlh
— ANI (@ANI) December 26, 2020
राज्य के मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने कहा, “नए विधेयक के तहत, किसी पर धार्मिक परिवर्तन के लिए मजबूर करने पर एक से पांच साल की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपये का जुर्माना होगा।”
नए कानून में धर्म संपरिवर्तन (#LoveJihad) के आशय से किया गया विवाह शून्य घोषित करने के साथ महिला और उसके बच्चों के भरण पोषण का हकदार करने का प्रावधान भी किया गया है। ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे माता-पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी होंगे।
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) December 26, 2020
उन्होंने कहा, “धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2020 (Freedom of Religion Bill 2020) के तहत, नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन करवाने पर 50,000 रुपये के न्यूनतम दंड के साथ 2-10 साल की न्यूनतम जेल की सजा होगी।”
Bhopal: MP Freedom of Religion Bill 2020 approved by cabinet in a special meeting chaired by CM Shivraj Singh Chouhan.
"Under new Bill, forcing religious conversion on someone will attract 1-5 yrs of imprisonment & a minimum Rs 25,000 fine," says Narottam Mishra, State Minister pic.twitter.com/64mDEtWJoL
— ANI (@ANI) December 26, 2020
इससे पहले नवंबर में, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) ने यूपी निषेध धर्म परिवर्तन अध्यादेश 2020 को रद्द कर दिया था। नए कानून में शादी के लिए जबरदस्ती धर्मांतरण के लिए दोषी पाए जाने पर 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल के बीच की जेल की सजा का प्रावधान है।
MP Freedom of Religion Bill 2020 की खास बातें:
- धार्मिक रूपांतरण के मामले में, प्रभावित व्यक्ति या उसके माता-पिता या रक्त रिश्तेदार शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
- अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती होगा, और इसे सत्र न्यायालय द्वारा लिया जा सकता है।
- इस तरह के मामले की जांच सब इंस्पेक्टर रैंक के एक पुलिस अधिकारी या उससे ऊपर के अधिकारी ही कर सकते हैं।
- यह साबित करने का भार कि बल द्वारा रूपांतरण नहीं किया गया है, अभियुक्त पर होगा।
- रूपांतरण के उद्देश्य से की गई शादी को अमान्य और शून्य माना जाएगा।
- यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य धर्म में परिवर्तित करना चाहता है, तो उसे एक महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- बिल के मुताबिक, बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु, काजी , मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा दी जा सकेगी।
- धारा 3 का उल्लंघन करने पर, व्यक्ति को 1-5 वर्ष का कारावास और कम से कम 25,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।
- यदि पीड़ित नाबालिग, महिला है, या एससी / एसटी से संबंधित है, तो दोषी को 2-10 साल के कारावास के साथ-साथ 50,000 रुपये के न्यूनतम जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
- सामूहिक धार्मिक रूपांतरण (दो या दो से अधिक व्यक्तियों का) का प्रयास 5-10 साल की कैद और कम से कम 1 लाख का जुर्माना होगा।