नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में शुरु राजनितिक संकट सदन से निकल कर अदालत तक पहुँच गया है. मंगलवार को भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को नोटिस जारी किया है. वहीं इस मामले पर अगली सुनवाई कल तक के लिए टाल दी गई है.
बतादें कि, सूबे के राज्यपाल लालजी टंडन ने कमलनाथ को पत्र लिखकर 16 मार्च को बहुमत साबित करने को कहा था. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने देश में फैले कोरोना वायरस को लेकर सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी थी. जिसके विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह ने मुखयमंत्री कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी और 12 घंटे के अंदर बहुमत साबित करने की मांग की थी.
मुखयमंत्री को नोटिस किया जारी
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी कर कल तक अपना जवाब देने को कहा है. इसी के साथ बुधवार तक सुनवाई टाल दी हैं.
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी कर कल तक अपना जवाब देने को कहा है. इसी के साथ बुधवार तक सुनवाई टाल दी हैं.
बागी विधायकों ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
वहीँ सभी बागी विधायकों ने बंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के फिर से सिंधिया का समर्थन किया। उन्होंने कह, हमने किसी के दवाब में अपना इस्तीफा नहीं दिया हैं, ना ही हमें कसी ने बंधक बनाया है. हम यहां अपनी मर्जी से है. इसी के साथ विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि, 22 विधायकों ने अपना इस्तीफा दिया था. लेकिन सिर्फ छह का ही मंजूर क्यों हुआ.
वहीँ सभी बागी विधायकों ने बंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के फिर से सिंधिया का समर्थन किया। उन्होंने कह, हमने किसी के दवाब में अपना इस्तीफा नहीं दिया हैं, ना ही हमें कसी ने बंधक बनाया है. हम यहां अपनी मर्जी से है. इसी के साथ विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि, 22 विधायकों ने अपना इस्तीफा दिया था. लेकिन सिर्फ छह का ही मंजूर क्यों हुआ.