मुंबई, महाराष्ट्र की राजनीति में फोन टैपिंग की चिंगारी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहाँ महाविकास अघाड़ी ने इसे अपना राजनीतिक दांव बनाया है, वहीं बीजेपी भी अब इसको बदले की राजनीती करार दे रही है।
मुंबई, महाराष्ट्र की राजनीति में फोन टैपिंग की चिंगारी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहाँ महाविकास अघाड़ी ने इसे अपना राजनीतिक दांव बनाया है, वहीं बीजेपी भी अब इसको बदले की राजनीती करार दे रही है। विदित हो कि मीडिया में आयी एक रिपोर्ट के अनुसार ये खुलासा हुआ था कि फडणवीस सरकार के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, संजय राउत और शरद पवार के फ़ोन टैप किये गए थे। इतना ही नहीं या भी कहा गया था कि वर्तमान विधानसभा चुनाव के बाद सरकार गठन को लेकर इन सभी प्रमुख पार्टियों की बैठकें चल रहीं थीं, तब भी यह फोन टैपिंग बदस्तूर जारी थी। बाद में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने यह कहा कि उन्होंने इस मामले में जांच के आदेश दे दियें हैं।
कल हुए इस फोन टैपिंग मामले में जब पिछली फडणवीस सरकार और बीजेपी की किरकिरी हुई तो देवेंद्र फडणवीस ने इसे महाविकास अघाड़ी की बदले की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विरोधियों के फोन टैप करना महाराष्ट्र और उनकी की संस्कृति नहीं हैऔर राज्य सरकार द्वारा ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया था। वर्तमान राज्य सरकार किसी भी एजेंसी द्वाराकोई भी जांचकराने के लिए स्वतंत्र है। यहां तक कि शिवसेना के नेता भी पिछली सरकार में राज्य गृह मंत्रालय का हिस्सा थे।उन्होंने ये भी कहा कि जो लोग इस मामले में शिकायत कर रहें हैं उनकी ओछी राजनीतिकरण की मानसिकता से पूरा देश भली-भांति परिचित है। वर्तमान राज्य सरकार किसी भी एजेंसी द्वारा किसी भी जांच करने के लिए स्वतंत्र है। यहां तक कि शिवसेना के नेता भी तब राज्य गृह मंत्रालय का हिस्सा थे।
Maharashtra Former CM&BJP leader Devendra Fadnavis: Phone tapping of opposition leaders is not a tradition of Maharashtra. Our govt never gave such an order. Present state govt is free to do any probe by any agency. Even Shiv Sena leaders were a part of State Home Ministry then. pic.twitter.com/tPpkWIXTMf
— ANI (@ANI) January 24, 2020
राजकीय विरोधकांचे फोन टॅप करणे ही महाराष्ट्राची संस्कृती नाही.
राज्य सरकारने तसे कुठलेही आदेश दिलेले नव्हते!
या प्रकरणात ज्यांनी तक्रार केली आहे, त्यांची राजकारणातील विश्वसनीयता ही संपूर्ण देशाला ठावूक आहे. pic.twitter.com/QwsyKH1QLD— भाजपा महाराष्ट्र (@BJP4Maharashtra) January 24, 2020
विदित हो कि इस फोन टैपिंग विवाद पर कल गुरुवार को संजय राउत ने कहा था कि वह इन फोन टैपिंग से डरते नहीं और जो भी करते हैं, खुल्रे आम करते हैं। वहीं अपने ट्वीटर हैंडल पर उन्होंने बीजेपी पर तीखा कटाक्ष करते हुए लिखा था की "मैं बाल ठाकरे का चेला हूं, जो कुछ करता हूं, खुले तौर पर करता हूं और इसके लिए मुझे कहीं छुपने या कुछ छुपाने की जरुरत नहीं है"। इसके साथ वो जाते जाते यह भी कह गए कि एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने उन्हें पहले ही इस बारे में आगाह किया गया था।
आपके फोन टैप हो रहे है..
ये जानकारी मुझे भाजपा एक वरिष्ठ मंत्रीने भी दे रखी थी. मैने कहां था..भाई साहेब..मेरी बात अगर कोई सुनना चाहता है. तो स्वागत है..मै बाळासाहेब ठाकरेजी का चेला हूं. कोई बात या काम छुप छुपकर नही करता..सुनो मेरी बात.. pic.twitter.com/zLrWajLC6d— Sanjay Raut (@rautsanjay61) January 24, 2020
जिस प्रकार से संजय राउत किसी वरिष्ठ बीजेपी नेता की बात कह गए, उससे क्या यह मान लिया जाये की बीजेपी का कोई अंदरूनी खासदार ही शिवसेना का रहनुमा है और जिसकी कीमत बीजेपी को महाराष्ट्र में चुकानी पड़ सकती है। खैर यह फिर संजय राउत एक शगूफा भी हो सकता है, लेकिन फिलहाल इस फोन टैपिंग मुद्दे को लेकर महारष्ट्र की राजनीतिक गरमी बढ़ गयी है।