नयी दिल्ली. अभी आ रही खबर के अनुसार MDH ग्रुप के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati) का निधन हो गया है। उन्होंने माता चन्नन देवी हॉस्पिटल में अपनी अंतिम सांस ली। गौरतलब है कि 98 वर्षीय महाशय धर्मपाल बीमारी के चलते पिछले कई दिनों से माता चन्नन हॉस्पिटल में एडमिट थे।खबरों के मुताबिक उनका कोविड-19 संक्रमण के बाद का इलाज चल रहा था और गुरुवार सुबह हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ।
Mahashay Dharmpal of MDH Spices passes away at 98 pic.twitter.com/Ov8aisY8xr
— ANI (@ANI) December 3, 2020
वहीं उनके निधन का समाचार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejerival) ने दुख और संवेदना व्यक्त किये हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘धर्म पाल जी बहुत ही प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।”
Dharm Pal ji was very inspiring personality. He dedicated his life for the society. God bless his soul. https://t.co/gORaAi3nD9
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 3, 2020
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने व्यक्त किया दुःख:
इधर महाशय धर्मपाल के निधन पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा ट्वीट कर कहा कि, “भारत के प्रतिष्ठित कारोबारियों में से एक महाशय धर्मपालजी के निधन से मुझे दुःख की अनुभूति हुई है। छोटे व्यवसाय से शुरू करने बावजूद उन्होंने अपनी एक बड़ी पहचान बनाई। वे सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय थे और अंतिम समय तक सक्रिय रहे। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना और उनके निधन पर शोक व्यक्त करता हूं। ‘
भारत के प्रतिष्ठित कारोबारियों में से एक महाशय धर्मपालजी के निधन से मुझे दुःख की अनुभूति हुई है।छोटे व्यवसाय से शुरू करने बावजूद उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई। वे सामाजिक कार्यों में काफ़ी सक्रिय थे और अंतिम समय तक सक्रिय रहे। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 3, 2020
कैसा रहा महाशय धर्मपाल गुलाटी का जीवन:
विदित हो कि महाशय धर्मपाल का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट ( जो अब पाकिस्तान में आता है) में हुआ था। उन्होंने साल 1933 में, 5वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही अपना स्कूल छोड़ दिया था। फिर साल 1937 में, उन्होंने अपने पिता की मदद से अपना खुद का व्यापार शुरू किया। उसके बाद साबुन, बढ़ई, कपड़ा, हार्डवेयर, चावल का व्यापार भी उन्होंने किया।
गौरतलब है कि महाशय धर्मपाल गुलाटी लंबे समय तक ये कार्य नहीं कर सके और उन्होंने अपने पिता के साथ अलग व्यापार शुरू कर दिया। यहाँ उन्होंने अपने पिता की ‘महेशियां दी हट्टी’ के नाम की दुकान में काम करना शुरू कर दिया। इसे ‘देगी मिर्थ वाले’ के नाम से भी जाना जाता था। फिर भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया और 27 सितंबर 1947 को उनके पास केवल 1500 रुपये ही शेष थे।
कैसे पड़ी MDH ब्रांड की नींव:
इन्ही बचे हुए पैसों से महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 650 रुपये में एक तांगा खरीद लिया और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच तांगा भी चलाया। कुछ दिनों बाद उन्होंने तांगा अपने भाई को दे दिया और करोलबाग की अजमल खां रोड पर ही एक छोटा सी दुकान लगाकर अपने बनाये मसाले बेचना शुरू किया। उनका मसाले का कारोबार चल निकला और MDH ब्रांड की नींव भी पड़ी।
अपने व्यापार के साथ ही उन्होंने कई सकारात्मक काम भी किए हैं, जो समाज के लिए काफी मददगार साबित हुए। इनमे अस्पताल, स्कूल आदि बनवाना आदि शामिल है। उन्होंने अभी तक कई स्कूल और विद्यालय खोले हैं। वे अभी तक 20 से ज्यादा स्कूल खोल चुके हैं। मसाला किंग के नाम से मशहूर गुलाटी को 2019 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
इस प्रकार महाशय धर्मपाल गुलाटी ने अपने जीवन में अनेक साहसिक कार्य किये। वस्तुतः उनका सम्पूर्ण जीवन एक तरह से सीख है कि कठनाइयों और विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते हुए अपने मेहनत से इंसान चाहे तो बहुत कुछ कर सकता है।