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नयी दिल्ली. केंद्र ने महिलाओं की सुरक्षा (Women Security) और उनके खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के लिए राज्यों को नये सिरे से परामर्श जारी किया है और कहा कि नियमों के अनुपालन में पुलिस की असफलता से ठीक ढंग से न्याय नहीं मिल पाता। उत्तर प्रदेश के हाथरस में महिला के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या को लेकर देशभर में फूटे गुस्से के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन पन्नों का विस्तृत परामर्श जारी किया है।

क्या कहा गृह मंत्रालय ने:

  • गृह मंत्रालय ने कहा कि सीआरपीसी के तहत संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य रूप से प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। परामर्श में कहा गया कि महिला के खिलाफ अपराध यदि थाने के अधिकार क्षेत्र के बाहर हुआ है तो उस स्थिति में ‘शून्य प्राथमिकी’ दर्ज की जाए।
  • महिला के साथ यौन उत्पीड़न सहित अन्य संज्ञेय अपराध संबंधित पुलिस थाने के न्यायाधिकारक्षेत्र से बाहर भी होता है तो कानून पुलिस को ‘शून्य प्राथमिकी’ और प्राथमिकी दर्ज करने का अधिकार देता है।
  • गृह मंत्रालय ने कहा, ‘‘सख्त कानूनी प्रावधानों और भरोसा बहाल करने के अन्य कदम उठाए जाने के बावजूद अगर पुलिस अनिवार्य प्रक्रिया का अनुपालन करने में असफल होती है तो देश की फौजदारी न्याय प्रणाली में उचित न्याय देने में बाधा उत्पन्न होती है।”राज्यों को जारी परमार्श में कहा गया, ‘‘ऐसी खामी का पता चलने पर उसकी जांच कर और तत्काल संबंधित जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”