Development scandal: He was feared murdered hours before his death

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कानपुर. विकास दुबे क़रीब तीन दशकों से इन काले कारनामों से जुड़ा हुआ हैं. चौबेपुर थाने में दर्ज मुक़दमों के अनुसार वह अपराध की दुनिया का काफी पुराना मुज़रिम हैं. ऐसा कहा जाता है कि साल 2000 के आस-पास शिवली के तत्कालीन नगर पंचायत के चेयरमैन लल्लन वाजपेयी से विवाद के बाद विकास दुबे ने अपराध की दुनिया में क़दम रखा. साल 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी विकास दुबे को नामज़द किया गया था. थाने में दर्ज मामलों के अनुसार, वर्ष 2000 में ही विकास दुबे के ऊपर रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साज़िश रचने का आरोप भी लगा था. बताया जा रहा है कि यह साज़िश विकास ने जेल से ही रची थी. दुबे ने साल 2001 में थाने के अंदर घुसकर भाजपा नेता और राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की थी. इस हाई प्रोफ़ाइल हत्या के बाद भी किसी पुलिस वाले विकास के ख़िलाफ़ गवाही नहीं दे पाए. कोर्ट में विकास दुबे के ख़िलाफ़ कोई साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका जिसकी वजह से उसे छोड़ दिया गया था. 

विकास दुबे की काली करतूतों की लिस्ट काफी लम्बी है. उसपर साल 2004 में एक केबल व्यवसायी की हत्या का भी इलज़ाम लगा था. लेकिन वह ज़मानत पर लगातार छूटते रहे. साल 2013 में भी विकास दुबे का नाम हत्या के एक मामले में सामने आया था. इसके अलावा वर्ष 2018 में विकास दुबे पर अपने चचेरे भाई अनुराग पर भी जानलेवा हमला कराने का आरोप लगा था जिसमें अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी. कहा जा रहा है कि हर राजनीतिक दल से विकास दुबे के संबंध है यही वजह है कि उसे कोई पकड़ नहीं पाया.  पूर्वापराधी विकास दुबे मूल रूप से कानपुर में बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरू गांव का रहने वाला हैं. उसने अपना घर क़िले की तरह बनवाया हैं. जहां बिना उनकी मर्ज़ी के घर के भीतर कोई जा नहीं सकता. वर्ष 2002 में जब राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी, उस समय दुबे का काफी दबदबा था. यही वह समय था जब विकास का जुर्म करने अ सिलसिला चरम पर आ गया और लोगों में दहशत फ़ैल गई. चौबेपुर थाने में दर्ज तमाम मामले अवैध तरीक़े से ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख़्त से भी जुड़े हैं. इन्हीं की बदौलत विकास दुबे ने कथित तौर पर ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाई है. बिठूर में ही उनके कुछ स्कूल और कॉलेज भी चलते हैं.

इसी की वजह से बिकरू गांव में पिछले 15 साल से निर्विरोध प्रधान बन रहे हैं और विकास दुबे के परिवार के ही लोग पिछले पंद्रह साल से ज़िला पंचायत सदस्य का भी चुनाव जीत रहे हैं. गाँव वालों के मुताबिक़, विकास दुबे के पिता किसान हैं और ये कुल तीन भाई है जिनमें एक भाई की क़रीब आठ साल पहले हत्या कर दी गई थी. भाइयों में विकास दुबे सबसे बड़े हैं. विकास की पत्नी ऋचा दुबे फ़िलहाल ज़िला पंचायत सदस्य हैं. विकास दुबे के दो बेटे हैं जिनमें से एक इंग्लैंड में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है जबकि दूसरा बेटा कानपुर में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है.

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कानपुर के चौबेपुर थाना इलाके में राहुल नाम के आदमी ने केस दर्ज करवाया की विकास दुबे ने उसके उपर गोली चलवाई. चौबेपुर थाने में विकास दुबे पर केस दर्ज होने के बाद यह खबर मिली कि विकास दुबे बिकरू गांव में अपने घर पर हैं. जिसके बाद पुलिस ने दबिश देकर उसे पकड़ने का प्लान बनाया था. लेकिन विकास बड़ा बदमाश है इसलिए दबिश में 3 थानों की पुलिस शामिल की गई. बिल्हौर के CO देवेन्द्र मिश्र इस टीम को लीड कर रहे थे. इसमें SO चौबेपुर, SO शिवराजपुर और SO भारीपुर साथ थे. सूचना के अनुसार पुलिस की कुल 4 गाड़ियाँ थी और 20 से ज्यादा लोग थे. ये टीम करीब रत 1.30 बजे बिकरू गांव में पहुची. लेकिन विकास के घर से करीब 50 फीट पहले सड़क के बीच में एक JCB खड़ा था. जिसकी वजह से पुलिस की गाड़ी आगे नहीं जा सकी और उन्हें गाड़ी से वही बाहर निकलना पड़ा. 

विकास दुबे के आदमी पहले से ही सतर्क और तैनात थे और आस पास के घर में छुप कर बैठ गए थे. पुलिस की टीम दो रास्तों से आई थी. CO देवेन्द्र मिश्र की टीम विकास दुबे की घर के दाई तरफ से पहुची थी और एक टीम JCB के पास खड़ी थी. JCB के पास खड़े पुलिसकर्मी जैसे ही विकास दुबे की घर की ओर बढ़ने लगे उनपर ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी. यह फायरिंग विकास दुबे के घर के सामने बने दोनों घरों की छत पर हथियारों के साथ खड़े विकास दुबे के आदमी कर रहे थे.  

उन्हें पहले से ही खबर थी की पुलिस वाले आ रहे है. इसलिए उन्होंने पहले ही JCB से रास्ता रोका और घात लगा कर हमला कर दिया. पुलिस वाले सड़क पर एक्स्पोस थे और छत से उनपर गोलिया बरसाई जा रही थी. कानपुर के SSP दिनेश कुमार पी के मुताबिक 3 तरफ से पुलिस पर फायरिंग की जा रही थी. एक बुजुर्ग महिला ने बताया था कि गोलीबारी होने के पहले ही लाइट भी चली गई थी. जैसे ही CO और उनकी टीम पर फायरिंग होने लगी CO देवेन्द्र मिश्र वहा से भागने लगे. बताया गया कि वह पहले टॉयलेट में छुपे और उन्हें गोली लगी. जिसके बाद वह पास के एक घर की दीवार कूदकर घर के आंगन में पहुचे और एक बोरी ओढ़ कर चुप गए. लेकिन उस घर के छत पर पहले से ही गुंडे मौजूद थे और उन्होंने CO की गोली मारकर हत्या कर दी. 

कुछ पुलिस वालो ने बताया कि बदमाश पुलिस वालों को ढूंढ- ढूंढ कर गोली मार रहे थे और जब पुलिसवालों ने भागने की कोशिश की तो उनके पीछे आने लगे. इस हमले में 8 पुलिस वाले शहीद हो गए साथ ही 7 जवान इस मुठभेड़ में जख्मी भी हुए थे. इस वारदात के बाद पुलिस को शक था कि पुलिस थाने से ही विकास दुबे को पुलिसवालों के आने की सूचना प्राप्त हुई है. जसके बाद कुछ पुलिस वाले शक के घेरे में थे और अब एसएसपी द्वारा 3 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। कथित रूप से निलंबित पुलिसकर्मी विकास दुबे के लगातार संपर्क में थे। यह जानकारी विकास के फोन कॉल रिकॉर्ड की छानबीन से मिली हैं।  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी. ने बताया कि निलंबित होने वालों में उप निरीक्षकों – कुंवरपाल, तथा कृष्ण कुमार शर्मा और कांस्टेबल राजीव हैं । ये सभी चौबेपुर थाने में तैनात थे । तीनों के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गयी है।