नयी दिल्ली, एक तरफ जहाँ पूरा देश में जहाँ नागरिकता कानून को लेकर व्यापक जान विरोध हो रहे हैं। वही राजस्थान की हाल ही में भारतीय नागरिकता प्राप्त महिला उम्मीदवार नीता सोढ़ा पंचायत चुनाव लड़ रही हैं।
नयी दिल्ली, एक तरफ जहाँ पूरा देश में जहाँ नागरिकता कानून को लेकर व्यापक जान विरोध हो रहे हैं। वही राजस्थान की हाल ही में भारतीय नागरिकता प्राप्त महिला उम्मीदवार नीता सोढ़ा पंचायत चुनाव लड़ रही हैं। कहा जाता है कि पकिस्तान से हिन्दू हिंदू शरणार्थी नीता कंवर सोढ़ा पढ़ने के लिए भारत आयीं थी वहीं अब वह राजस्थान के टोंक जिले के नटवाड़ा ग्राम पंचायत से सरपंच का चुनाव लड़ रही है।
आपको बता दें की नीता कंवर सोढ़ा करीब 18 साल पहले भारत आई थी और उसके बाद उनकी यहीं शादी हो गई। हाल ही में 4 महीने पहले ही उन्हें भारतीय राष्ट्रीयता दी गई है। उनके अनुसार वह अब राजस्थान के टोंक जिले के नटवाड़ा ग्राम पंचायत से सरपंच लिए कड़ी हुई हैं। उन्होने कहा कि ”मैं 18 साल पहले भारत आई थी लेकिन मुझे 4 महीने पहले ही राष्ट्रीयता दी गई है.” नीता यह भी बताती हैं कि उनकी राजनीतिक यात्रा में उनके ससुर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।
Tonk: Neeta Sodha, an immigrant from Pakistan who was recently given Indian citizenship is contesting panchayat elections in Natwara, says,"I came to India 18 yrs back but I was given nationality just 4 months ago. My father-in-law guides me in my political journey." #Rajasthan pic.twitter.com/BUGeZmrixq
— ANI (@ANI) January 17, 2020
नीता कंवर सोढ़ा ने यहाँ राजस्थान में अजमेर के सोफिया कॉलेज से स्नातक किया है। 2011 में उनकी शादी नटवाड़ा गांव के पुण्य प्रताप करण से हुई ।नीता बताती हैं वह पढ़ने के लिए अपनी बहन अंजलि और चाचा नखट सिंह सोढ़ा के साथ साल 2001 में जोधपुर आई थी । उनके माता-पिता और भाई अब भी पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में रहते हैं। फिर आठ वर्ष पहले उनकी यहीं के एक प्रतिष्ठित परिवार में शादी हो गई। चार महीने पहले ही उन्हें भारत की नागरिकता मिली है। उनके अनुसार भारत आने के सात वर्षों बाद उन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था । लेकिन उनका आवेदन दो-तीन बार अस्वीकार्य कर दिया गया था। लेकिन भारत आने के बारह वर्षों बाद आखिरकार उन्हें भारत की नागरिकता मिल गई। नीता सोढा का कहना है कि वे सरंपच चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहीं हैं। अगर मौका मिला तो सरपंच बन कर वे अपने गाँव के लोगो की सेवा करना चाहेंगी।