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    नयी दिल्ली:  दिल्ली (Delhi) की एक विशेष एनआईए अदालत (NIA Court) ने दिल्ली समेत भारत के विभिन्न स्थानों पर आतंकवादी हमले (Terrorist Attacks) करने की साजिश रचने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के एक पाकिस्तानी आतंकवादी को 10 साल की जेल की सजा सुनाई है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। पटियाला हाउस अदालत में एनआईए मामलों के विशेष न्यायाधीश ने पाकिस्तानी लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी बहादुर अली को आईपीसी, यूए(पी) कानून, शस्त्र काननू, विस्फोटक कानून, विस्फोटक सामग्री कानून, विदेशी कानून और इंडियन वायरलेस टेलीग्राफी कानून की धाराओं में शुक्रवार को सजा सुनाई।

    अदालत ने उसे 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उस पर जुर्माना भी लगाया। एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि जुलाई 2016 में दर्ज यह मामला पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा भारत में आतंकवादी हमले करने की साजिश रचने से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि साजिश के तहत अली अपने दो साथियों अबू साद और अबू दर्दा के साथ मिलकर गैरकानूनी तरीके से जम्मू कश्मीर में घुसा ताकि दिल्ली समेत भारत के अलग-अलग स्थानों पर आतंकवादी हमले कर सके। इन्होंने पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित लश्कर के आकाओं के इशारे पर भारत में घुसपैठ की। उन्होंने बताया कि अली को कुपवाड़ा से गिरफ्तार किया गया और उसके पास से बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए गए। पूछताछ के दौरान अली ने आतंकवादी संगठन में भर्ती, लश्कर के विभिन्न प्रशिक्षण शिविर, हथियार चलाने के लिए आतंकवादियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण, लश्कर के आतंकवादियों द्वारा भारत में आतंकवादी हमले करने के लिए उकसाने और पीओके में लश्कर के लॉन्चिंग पैड की जानकारियों का खुलासा किया।

    एनआईए ने जनवरी 2017 में अली के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। बाद में लश्कर-ए-तैयबा के दो अन्य पाकिस्तानी आतंकवादियों साद और दर्दा को कुपवाड़ा में फरवरी 2017 में एक मुठभेड़ में मार गिराया गया। एनआईए अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान अली के दो साथियों जहूर अहमद पीर और नजीर अहमद पीर को भी गिरफ्तार किया गया। ये दोनों जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं। आरोपपत्र में नामजद अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है।