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    नयी दिल्ली. सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारत (India) में अब तक सार्स-सीओवी-2 के लैम्बडा स्वरूप (Lambda variant of Corona) का कोई मामला सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा कि इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) स्वरूप पर करीबी नजर रख रहा है।

    उन्होंने कहा, “14 जून को डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा पहचाना गया लैम्बडा वायरस का सातवां संस्करण था और 25 देशों में इसका पता चला है।”

    अग्रवाल ने कहा, “हमारे देश में इसका कोई मामला सामने नहीं आया है और आईएनएसएसीओजी इस पर नजर रख रहा है और हम सतर्क हैं। पेरू में, 80 प्रतिशत संक्रमण इसी स्वरूप के थे। यह दक्षिण अमेरिकी देशों और ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में भी मिला है, और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर किसी भी प्रभाव की निगरानी की जाएगी।”

    नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉल ने कहा कि लैम्बडा स्वरूप पर ध्यान देने की जरूरत है और इसलिए इसका पता लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘जहाँ तक हम जानते हैं कि इसने हमारे देश में प्रवेश नहीं किया है, अपने देश में यह नहीं मिला है। हमारी निगरानी प्रणाली आईएनएसएसीओजी बहुत प्रभावी है और अगर यह स्वरूप देश में प्रवेश करता है तो वह इसका पता लगा लेगी…।”

    पॉल ने कहा, ” हमें इन प्रकार के स्वरूपों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।” कोविड के कप्पा स्वरूप के बारे में पॉल ने कहा कि यह स्वरूप फरवरी और मार्च में भी देश में मौजूद था और इसकी तीव्रता बहुत कम थी तथा डेल्टा स्वरूप ने बड़े पैमाने पर इसका स्थान ले लिया है।

    उन्होंने कहा, “कप्पा स्वरूप देश में फरवरी-मार्च में भी मौजूद था, डेल्टा स्वरूप कप्पा के समान है। डेल्टा संस्करण के सामने आने पर यह दब गया था और हमारे देश में कुछ समय के लिए यह संस्करण (कप्पा) था… डेल्टा एक संबंधित स्वरूप है और तेजी से फैल सकता है और यह दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।”

    शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार उत्तर प्रदेश में कोविड​​​​-19 के कप्पा स्वरूप के दो मामलों का पता चला है। (एजेंसी)