Delhi Police

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 नयी दिल्ली.  दिल्ली पुलिस ने सोमवार को उच्च न्यायालय से कहा कि उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच में अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे पता चलता हो कि राजनीतिक नेताओं ने हिंसा को उकसाया या उसमें हिस्सा लिया। इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की जान चली गयी थी। उच्च न्यायालय में पुलिस का बयान उन याचिकाओं के जवाब में आया है जिनमें आरोप लगाये गये थे कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा समेत भाजपा नेताओं ने नफरत भरे भाषण दिये थे जिससे हिंसा भड़की।

एक अन्य अर्जी में आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कांग्रेस नेताओं तथा मनीष सिसोदिया, अमानतुल्ला खान जैसे आप नेताओं तथा एआईएमआईएम विधायक वारिस पठान ने भी घृणाभरे भाषण दिये थे। इन अर्जियों पर जवाब में पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘ यह स्पष्ट किया जाता है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे से जुड़े उपरोक्त सभी मामलों में अब तक की जांच में ऐसा कोई कार्रवाई योग्य सबूत सामने नहीं आया है जो रिट याचिकाओं में उल्लेखित व्यक्तियों की दंगा भड़काने या उसमें हिस्सा लेने में उनकी भूमिका का संकेत करता है।” सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के सामने यह हलफनामा दिया गया। इस पर आगे सुनवाई 21 जुलाई को होगी।