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नई दिल्ली. आज देश  मुंबई (Mumbai) में हुए आतंकी हमले (Terrorist Attack) की 12वीं बरसी मना रहा है। आज ही के दिन 26 नवंबर 2008 को समुद्र के रास्ते पाकिस्तान (Pakistan) से आए 10 आतंकवादियों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) में हिंसा और रक्तपात का ऐसा भयंकर खेल खेला था, जिसे पूरी दुनिया देख डर, नफरत और गुस्से से सन्न रह गयी थी। इस भीषण रक्तपात को अगर कोई रोक सका था तो वह हैं मुंबई पुलिस और NSG के जांबाज ब्‍लैक कैट कमांडोज (BlackCat Commando)। लेकिन, अफ़सोस की बात ये है कि आज 12 साल बाद भी आतंकवादियों से लोहा लेने वाले कमांडोज़ को इंसाफ नहीं मिला। इतना करने के बाद भी इस हमले में जख्मी हुए ब्‍लैक कैट कमांडोज़ को उनकी वीरता पर उन्हें दिया गया इनामस्वरुप चन्द रुपयों का चैक  आज तक कैश भी नहीं हो पाया और ना ही तत्कालिक कांग्रेस राज्य और केंद्र सरकार द्वारा कोई पूछ-परख हुई । ऐसा कितनों के साथ हुआ, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन इस हादसे में हमेशा के लिए दिव्यांग (Disable) हो जाने वाले  एक कमांडो की आपबीती सामने आई है, जिनका नाम है- सुरेंद्र सिंह।

क्या हुआ था उस रात मुंबई में: 

देखा जाए तो इसकी शुरुआत करीब तीन दिन पहले ही हो गयी थी। दरअसल 23 नवम्बर को पकिस्तान के यह खतनाक आतंकी कराची से एक बोट से रवाना हुए थे। वहीं समुद्र में उन्‍होंने एक भारतीय नाव पर पहले कब्‍जा कर उसके चार साथियों को मार दिया। इसके बाद मुंबई तट के करीब पहुंचने पर उन्‍होंने बोट पर मौजूद आखिरी भारतीय को भी मार डाला था। फिर मुंबई में कदम रखते ही ये आतंकी छह अलग-अलग टुकड़ों में बंट गए थे। इनका साफ़ मकसद यह था कि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को मारा जाए। इसी के तहत इन लोगो ने नरीमन हाउस, कैफ़े लियोपॉल्ड, ताज और ऑबरॉय होटल पर भी अपनी दहशत की छाप छोड़ दी।

कैसी रोका था NSG ने इन आतंकियों को:

इस हमले के बाद रैपिड एक्शन फोर्ड (RPF), मैरीन कमांडो और नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (NSG) कमांडो ने मोर्चा संभाला, लेकिन आतंकियों का खात्मा करने में सुरक्षा बलों 3 दिन का समय लग गया। इस दौरान लाइव मीडिया कवरेज के कारण भी ज्यादा नुकसान हुआ था, क्योंकि इन आतंकवादियों को टीवी पर पल-पल की जानकारी मिल रही थी कि कहां क्या हो रहा है। इस दौरान आतंकियों ने कई जगह धमाके भी किए, आग लगायी और फायरिंग कर के कई बंधकों को मौत के घाट उतार दिया। करीब 60 घंटे की लड़ाई के बाद सुरक्षा बलों के साथ NSG के जांबाज कमांडोज ने 9 आतंकियों को मार गिराया, जबकि अजमल आमिर कसाब को जिंदा धर दबोचा। इस पर रिटायर्ड कमांडो सुरेन्द्र सिंह ने अपने अनुभव हमसे बांटें। 

जख्मी हुए कमांडो की व्यथा: बोले तब PM मनमोहन रहे मौन:

लेकिन इस तस्वीर का दूसरा रुख भी है। जी हाँ मुंबई पर हुए इस हमले के साक्षी रहे NSG के वीर कमांडो सुरेन्द्र सिंह (Surendra Singh ) का दावा है कि 2008 में इस हमले के बाद तत्कालिक राज्य सरकार द्वारा ना ही कोई पूछ परख हुई। इतना ही नहीं हद तो यह है कि BCCI द्वारा दिया गया 2 लाख का चैक आज भी कैश नहीं हो पाया है। रिटायर्ड कमांडो सुरेन्द्र सिंह का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार ने अपने शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार का ध्यान रखा, मदद की। लेकिन, आतंकवादियों से लोहा लेने में शामिल NSG के कमांडोज़ को नजरंदाज किया गया।वहीं भारत के तत्कालिक कांग्रेस सरकार और PM मनमोहन सिंह भी मौन रहे। अगर तब आज की केंद्र सरकार होती तो तत्काल पाकिस्तान पर हमला कर देती।

कौन हैं सुरेन्द्र सिंह:

सुरेन्द्र सिंह भारतीय सेना के कमांडो थे। भारत की सबसे पुरानी पैदल सेना रेजिमेंटों में से एक, ‘ग्रेनेडियर्स’ में वह पदस्थ थे। उन्होंने कारगिल युद्ध, ऑपरेशन पराक्रम, ऑपरेशन सद्भावना, ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो में भाग लिया और कांगो में भी वे संयुक्त राष्ट्र मिशन का हिस्सा थे। वह 2008 के मुंबई हमलों के दौरान NSG कमांडो दल का हिस्सा भी थे। उन्होंने बाद में नायक (Naik) (कॉर्पोरल) रैंक के साथ भारतीय सेना छोड़ी। उन्हें अपने पेंशन के लिए तत्कालिक भारत सरकार के साथ 19 महीने लड़ना भी पड़ा था। इसके बाद उन्होंने AAP पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और  MLA का चुनाव भी जीता। देखिए और सुनिए उन्हीं से उनकी नाराजगी। वीडियो देखें।