Fuel demand fell 46 percent in April due to lockdown, expected to improve in May
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    तिरुवनंतपुरम:  केरल (Kerala) में ईंधन (Fuel) के दामों में प्रतिदिन हो रही वृद्धि के बीच, बुधवार को संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) नीत विपक्ष ने वाम सरकार से तेल की बिक्री से जनित अतिरिक्त कर राजस्व को नहीं वसूलने का आग्रह किया। सरकार (Government) ने विपक्ष की मांग को ठुकराते हुए कहा कि इससे पहले से ही नकदी के संकट से जूझ रहे राज्य की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। राज्य विधानसभा में विपक्ष ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमन चांडी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती यूडीएफ सरकार ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि से आम आदमी को राहत देने के लिए सात अतिरिक्त कर राजस्व माफ कर दिये थे। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और राज्य की माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार, लोगों को लूटने के लिए तेल के मूल्यों में वृद्धि कर रही है। 

    इसके साथ ही कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान विधानसभा से बहिर्गमन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सदन में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करना चाहती। स्थगन प्रस्ताव की मांग करते हुए आईयूएमएल के सदस्य एन शम्सुद्दीन ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें तेल की कीमतों में वृद्धि को खजाना भरने के अवसर के रूप में देख रही हैं। उन्होंने कहा, “चांडी सरकार ने आम जनता को राहत देने के लिए सात बार अतिरिक्त कर राजस्व माफ कर दिया था। पिनराई विजयन की सरकार ऐसा क्यों नहीं कर रही है? कम से कम कोविड-19 के इस समय में तो अतिरिक्त कर नहीं लेना चाहिए।” 

    नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीशन ने सरकार से कहा कि महामारी के दौरान लोगों की समस्याओं को देखते हुए कम से कम मछली पकड़ने की नावों और सड़क परिवहन निगम की बसों, ऑटो रिक्शा और टैक्सी वाहनों को तेल की कीमतों में सब्सिडी देनी चाहिए। वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने विपक्ष द्वारा एलडीएफ सरकार पर लगाये गये आरोपों की आलोचना की और कहा कि तेल की कीमतों में वृद्धि का कारण राज्य नहीं बल्कि केंद्र सरकार है। उन्होंने कहा, “लगातार तेल की कीमतें बढ़ने से स्थिति गंभीर है लेकिन इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं है। अन्य राज्यों की तुलना में केरल में कर कम लगता है।”