विपक्ष ने पीएम केयर्स पर सवाल उठाया, सरकार ने किया पलटवार

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नयी दिल्ली: पीएम केयर्स फंड के गठन के मुद्दे पर शनिवार को लोकसभा में कांग्रेस और सरकार के बीच आरोप प्रत्यारोप की स्थिति देखने को मिली। कांग्रेस ने पीएम केयर्स फंड के गठन के औचित्य पर सवाल उठाया और पारदर्शिता का अभाव होने का आरोप लगाया। वहीं, सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह बिना पंजीकरण वाले ‘प्रधानमंत्री राहत कोष’ पर जवाब नहीं दे सकती तो फिर उसे ‘पीएम केयर्स’ कोष पर सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है।

लोकसभा में कराधान और अन्य विधियां (कतिपय उपबंधों का संशोधन एवं छूट) विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने कहा कि पीएम केयर्स कोष में छिपाने के लिए क्या है ? यह तो कोई रक्षा या राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय तो नहीं है। उन्होंने कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पारदर्शिता की बात करते हैं, लेकिन अब इस बारे में क्या कहेंगे। क्या किसी राज्य का मुख्यमंत्री भी एक निजी ट्रस्ट बनाकर ऐसा कर सकता है। निजी ट्रस्ट की क्या जरूरत है?.”

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पीएम केयर्स फंड का गठन कानून सम्मत तरीके से किया गया जिसमें प्रधानमंत्री सहित समाज के हर वर्ग के लोगों ने स्वेच्छा और अपने सामर्थ्य के अनुरूप योगदान दिया । उन्होंने कहा, ‘‘ हमने जो खर्च किया, उसके बारे में आडिट की हुई रिपोर्ट जारी की । क्या एक परिवार (गांधी नेहरू परिवार) से जुड़े किसी ट्रस्ट ने खर्च का ब्यौरा दिया । ” पीएम केयर्स फंड का जिक्र करते हुए ठाकुर ने कहा कि इस विषय पर ये (विपक्ष) अदालत में चले गए, लेकिन अदालत ने इनकी बातों को खारिज कर दिया।

ठाकुर ने कहा, ‘‘1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने शाही हुकुम की तरह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष बनाने का आदेश दिया।” उन्होंने दावा किया कि इस कोष का आज तक पंजीकरण नहीं कराया गया है। वित्त राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि पीएम केयर्स कोष पूरी तरह से संवैधानिक रूप से पंजीकृत चैरिटेबल ट्रस्ट है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का पैसा पूर्व में राजीव गांधी फाउंडेशन को दिया गया । उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2011 में विवादित धर्मप्रचारक जाकिर नाईक से पैसा लिया गया और 2014 में वापस लौटाया गया। उन्होंने पूछा कि क्या पैसा लौटाते समय तीन वर्षो का ब्याज भी लौटाया गया । उन्होंने आरोप लगाया कि एक परिवार ने देश को अपनी जागीर समझा।

चर्चा के दौरान कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने लोकसभा में पीएम केयर्स फंड के गठन का विरोध किया और आरोप लगाया कि इसमें पारदर्शिता की कमी है। इन आरोपों को लेकर वित्त मंत्री सीतारमण ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की पूरी कोशिश है कि कर प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहती हूं कि पारदर्शिता अपने घर से शुरू करिए और अपनी परमार्थ संगठनों में पारदर्शिता लाइए।

सीतारमण ने कहा कि पीएम केयर्स पंजीकृत है, लेकिन प्रधानमंत्री राहत कोष पंजीकृत नहीं है। उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष दोनों की आडिट एक ही एजेंसी करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की 1985 के बाद से एक भी बैठक नहीं हुई है।

वित्त मंत्री ने कहा कि जहां तक प्रबंधन का सवाल है, पीएम केयर्स फंड में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री पदेन सदस्य होते हैं । इसके अलावा भी अलग अलग क्षेत्र से कुछ प्रबुद्ध लोग भी पदेन सदस्य होते हैं । जबकि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में प्रधानमंत्री होते हैं । इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष ट्रस्टी होते हैं । उन्होंने सवाल किया कि जब देश में हजारों राजनीतिक दल हैं तब कांग्रेस का ही सदस्य क्यों रहे । यह सवाल भी पूछना चाहिए ।

सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री राहत कोष और पीएम केयर्स कोष दोनों पर आरटीआई लागू नहीं होता, लेकिन आप सिर्फ पीएम केयर्स की बात करते हैं। वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि किसी पर इल्जाम लगाने से पहले नोटिस देना होता है। सोनिया गांधी अभी सदन में नही हैं, चिकित्सा के लिये बाहर गई हैं । वह आरोपों पर जवाब देने के लिये नहीं हैं । ऐसे आरोप लगाना ठीक नहीं है।

कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार विवेकानंद फाउंडेशन, इंडिया फाउंडेशन के बारे में भी बताएं । टिक टॉक से चंदा लेने के बारे में भी बताएं । चर्चा के दौरान आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा, ‘‘ मुझे अलग कोष के गठन के पीछे का तर्क समझ नहीं आता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष और प्रधानमंत्री केयर्स फंड के बीच अंतर क्या है। ”

द्रमुक के गौतम सिगमणि पोन ने कहा कि सरकार को पीएम केयर्स में आए पैसे का पूरा ब्यौरा मुहैया कराना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि सरकार राज्यों को जीएसटी का बकाया देने की अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती। उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स कोष में चीनी कंपनियों ने अनुदान दिया, जबकि ये कंपनियां भारत के प्रमुख लोगों की जासूसी करा रही हैं।