लखनऊ. भाजपा सरकार ने अयोध्या में मंदिर निर्माण और भूमि पूजन का वादा पूरा कर बाकि पार्टियों को चिंता में डाल दिया हैं। जिसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए राम मंदिर निर्माण भाजपा के लिए एक बड़ा मुद्दा उभर कर आएगा। 2022 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी अब इसी एजेंडा को फॉलो करने की तैयारी में हैं। हाल ही में उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘जय कान्हा जय कुंजबिहारी जय नंद दुलारे जय बनवारी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सबको अनंत शुभकामनाएं।’ अखिलेश ने ट्विटर हैंडल पर एक तस्वीर शेयर की, जिसमें वो पत्नी डिंपल यादव के साथ नज़र आ रहे हैं। पीछे कृष्ण की एक बड़ी-सी मूर्ति दिख रही है, जो अखिलेश यादव अपने परिवार के पैतृक गांव सैफई में बनवा रहे हैं।
जय कान्हा जय कुंजबिहारी
जय नंद दुलारे जय बनवारीश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सबको अनंत शुभकामनाएँ! pic.twitter.com/BO4E2eusjr
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 12, 2020
“अयोध्या तो झाँकी है, काशी-मथुरा बाकी है।” 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के बाद 1990 के दशक से बीजेपी-विहिप का नारा एक बार फिर जपा जा रहा है। लेकिन मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि के लिए होने वाले कैंपेन की सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश और बिहार में गौवंश के धर्मनिरपेक्ष नायकों यानी यादवों के लिए होगी, आखिर यादव खुद को कृष्ण का प्रत्यक्ष वंशज मानते हैं। लालू यादव, तेजस्वी यादव, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव जैसे नेताओं को मथुरा अभियान का विरोध करना अधिक मुश्किल होगा, जिस तरह से उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के साथ किया था। इस बार, उनकी सख्त धर्मनिरपेक्ष राजनीति का परीक्षण पहले की तरह नहीं किया जाएगा।
यादव नेताओं के लिए कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन एक अग्नि-परीक्षा से कम नहीं होगी। शायद इसीलिए समाजवादी पार्टी ने अब 2014 के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पोलिटिकल एजेंडे को आकार देना शुरू कर दिया है। इसलिए SP नेता अखिलेश यादव ने न केवल भूमि पूजन के दिन ‘जय सिया राम’ ट्वीट किया था, बल्कि वह यह भी चाहते हैं की अब परशुराम की 108 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाए। चूंकि भाजपा ओबीसी वोट बैंक को तोड़ने के लिए समय से पहले ही तैयारी कर चुकी है, इसलिए कृष्ण जन्मभूमि में देरी यादवों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। दूसरी ओर, अब सभी पार्टियां कमंडल का एक टुकड़ा लेने के लिए दौड़ रही हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले, ऐसी खबरें थीं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में राम की 100 मीटर ऊंची प्रतिमा की घोषणा के बाद अखिलेश यादव गुप्त रूप से अपने गृहनगर सैफई में 50 फुट ऊंची कृष्ण की प्रतिमा बनवाने की तैयारी में है। अब देखने वाली बात यह है कि मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि अभियान में यादव की राजनीति कैसे बदलती है, इससे न केवल यूपी की राजनीति बदल जाएगी, बल्कि पुराने भारतीय धर्मनिरपेक्षता को नए युग के से जोड़ा जाएगा। अगर पारंपरिक राजनीतिक दल शाही ईदगाह और ज्ञानवापी मस्जिदों की सुरक्षा में मुस्लिमों के हित को छोड़ देते हैं, तो कोई नहीं बता सकता कि उनकी जगह कौन भरेगा। राजनीति, प्रकृति की तरह, निर्वात का अपमान करती है।