Parliamentary committee asked to create welfare fund for migrant workers

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नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अंतर राज्यीय प्रवासी श्रमिकों के समक्ष उभरे मुद्दों और उनकी स्थिति पर विचार करते हुए संसद की एक समिति ने ऐसे कामगारों के लिये एक कल्याण कोष के निर्माण की सिफारिश की है तथा इससे संबंधित संहिता में इस कोष का एक अलग श्रेणी के रूप में उल्लेख करने पर जोर दिया है। संसद में पेश सामाजिक सुरक्षा संहिता 2019 पर श्रम संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति यह इच्छा व्यक्त करती है कि अंतर राज्यीय प्रवासी श्रमिकों (आईएसएमडब्ल्यू) का एक राष्ट्रीय डाटाबेस बनाया जाए।”

इसमें कहा गया है, ‘‘ऐसा प्रवासी जो अपने पैतृक राज्य में आईएसएमडब्ल्यू के रूप में पंजीकृत नहीं हो सका है, उसे अपने डेटा को शामिल करने की सुविधा होनी चाहिए कि वह एक अंतर राज्यीय प्रवासी श्रमिक है।” समिति ने कहा कि कोविड-19 के अनुभव के मद्देनजर अंतर राज्यीय प्रवासी कामगारों के लिये एक कल्याण कोष का निर्माण होना चाहिए और संहिता में एक अलग श्रेणी के रूप में इसका उल्लेख होना चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि इसका वित्त पोषण छह एजेंसियों/संस्थाओं द्वारा हो। इसमें भेजने वाले राज्य, प्राप्त करने वाले राज्य, ठेकेदारों, मूल नियोक्ताओं और पंजीकृत कामगारों द्वारा अनुपातिक रूप से वित्त पोषण होना चाहिए। इसमें कहा गया है कि इस तरह सृजित निधियों का उपयोग विशेष रूप से अन्य कल्याणाकारी निधियों के दायरे में नहीं आने वाले कर्मचारियों/कामगारों के लिये किया जाना चाहिए ।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति के संज्ञान में यह बात है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जो मुद्दे उभरे हैं, उनमें अंतर राज्यीय प्रवासी श्रमिकों की स्थिति, उनके लिये नौकरी, भोजन और राशन की सुविधाएं शामिल हैं। समिति ने कहा कि वह ठेकेदार के माध्यम से भर्ती किये गए श्रमिकों को शामिल करने के लिये अंतर राज्यीय प्रवासी श्रमिक की परिभाषा में विस्तार की सिफारिश करती है। वहीं, सरकार ने संसदीय समिति को बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर मजदूरों से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पेशागत सुरक्षा संहिता संबंधी स्थायी समिति की सिफारिशों के अनुरूप अंतर राज्यीय प्रवासी श्रमिकों से जुड़े उपबंध पर वह पुन: विचार कर रही है। (एजेंसी)