नई दिल्ली: सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) को लेकर शुरू विवाद अभी समाप्त होते नहीं दिख रहा है। बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव ने दायर याचिका में कहा कि, “पूरे देश में कोरोना संकट (Corona Crisis) के कारण निर्माण में रोक लगी है, वहीं हाई कोर्ट द्वारा इसे आवश्यक गतिविधि बताना सही नहीं है।”
याचिका में कहा गया है कि, “अदालत का यह कहना सही नहीं था कि, जो श्रमिक वहां काम कर रहे हैं वह निर्माण स्थल पर रह रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार और प्रोजेक्ट का निर्माण कर रही एसपीसीपीएल ने दायर हलफनामे में स्पष्ट किया है कि, श्रमिक निर्माण स्थल के पास नहीं बल्कि कुछ किलोमीटर दूर सराय काले खां में बने कैंप में रहते हैं।”
ज्ञात हो कि, सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि, यह एक ‘‘अहम एवं आवश्यक” राष्ट्रीय परियोजना है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि यह एक प्रेरित याचिका है। यह एक जनहित याचिका नहीं थी।
मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने विपक्ष पर बोला था हमला
प्रोजेक्ट पर उच्च न्यायालय ने आदेश के बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने विपक्ष पर हमला बोला था। उन्होंने कहा, “विपक्ष प्रोजेक्ट के खिलाफ गलत जानकारी फैलाकर जनता को भ्रम में डालने की कोशिश कर रहा है।”
लोगों के जो मन में आ रहा वो बोल रहा
प्रोजेक्ट के खर्च की राशि को लेकर की जा रहे दावों पर हरदीप सिंह पूरी ने कहा, “पहली बात तो 20,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा कहां से आया? जिसके मन में जो आता है बोलता है। 51 मंत्रालयों के लिए ऑफिस, मेट्रो के साथ जोड़ना, नया संसद भवन, 9 ऑफिस के भवन, न्यू इंदिरा गांधी सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट्स सब मिलाकर खर्चा शायद 13,000-15,000 करोड़ आएगा।”