नयी दिल्ली. कोविड-19 के कारण जारी लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न हिस्से में फंसे प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं का स्वत: संज्ञान लेने से जुड़े मामले में हस्तक्षेप के लिए एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान महामारी के कारण कई बाहरी छात्र अपने घर लौटने के लिए बाध्य हुए। एसएफआई ने कहा कि अब छात्रों को उनके मालिक मालिक किराये का भुगतान करने के लिए फोन कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है, ‘‘यह बताना जरूरी है कि अधिकतर छात्र पढ़ाई के खर्च के लिए अपने परिवार की आय पर निर्भर हैं और लॉकडाउन के इन महीनों का किराया देना उनके लिए अतिरिक्त बोझ है। हमारे देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में काम करता है, इस समय में उनकी आय काफी अस्थिर रही।” याचिका में कहा गया कि लॉकडाउन के महीनों के किराये का भुगतान बाद में करना भी छात्रों के लिए काफी कठिन है क्योंकि उनमें से कई कमजोर वित्तीय पृष्ठभूमि से आते हैं। एसएफआई ने मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की और कहा कि प्रवासी मजदूरों के साथ ही फंसे छात्रों की दुर्दशा को दूर करने के लिए सरकार ठोस उपायों पर विचार कर सकती है।