Power Crisis
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नयी दिल्ली: पारा चढ़ने के साथ ही साथ चौथे चरण के ‘लॉकडाउन’ (बंद) में वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियां बढ़ने से बिजली की मांग पिछले साल मई के हिसाब से इस सप्ताह सामान्य स्तर के करीब आ गयी है। बिजली मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार मांग बढ़ने से बिजली की अधिकतम आपूर्ति 26 मई को 1,66,420 मेगावाट पहुंच गयी। एक साल पहले इसी महीने में बिजली की अधिकतम मांग 1,82,530 मेगावाट थी। यानी सालाना आधार पर बिजली की मांग अभी 8.8 प्रतिशत कम है। माह के पहले पखवाड़े में 15 मई को बिजली की अधिकतम मांग को पूरा करने के लिये लिये की गयी आपूर्ति 1,41,870 मेगावाट रही। यह पिछले साल के मई 2019 में इसी अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत कम है।

विशेषज्ञों के अनुसार मई के दूसरे पखवाड़े में बिजली की मांग बढ़ी है और इसका कारण गर्मी बढ़ना और चार मई से देशव्यापी बंद के चौथे चरण में वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियां बढ़ना है। देश में 25 मार्च से ‘लॉकडाउन’ है। अप्रैल महीने में कुछ ढील दी गयी लेकिन मौसम अपेक्षाकृत ठंड होने और औद्योगक एवं वाणिज्यिक गतिविधियां सीमित होने से पिछले महीने में बिजली की मांग में तेजी नहीं आयी। अप्रैल में मांग को पूरा करने के लिये बिजली की अधिकतम आपूर्ति 1,32,770 मेगावाट रही जबकि पिछले साल अप्रल में यह 1,76,810 मेगावाट थी।

अप्रैल महीने में बिजली की मांग 1,16,890 मेगावाट (आठ अप्रैल) से 1,32,770 मेगावाट (30 अप्रैल) रही। उद्योग मंडल सीआईआई ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा कि मांग कम होने के कारण वितरण कंपनियों की आय में 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है और 50,000 करोड़ रुपये की नकदी की कमी का सामना करना पड़ेगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में संकट से जूझ रही वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराने की घोषणा की है। वितरण कंपनियों के ऊपर उत्पादक कंपनियों का 94,000 करोड़ रुपये बकाया है।