जबरदस्त फीचर्स के साथ 180 KM की रफ़्तार से दौड़ेंगी प्राइवेट ट्रेनें

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नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक स्लाइडिंग डोर, डबल- ग्लेज्ड सेफ्टी ग्लास के साथ खिड़कियां, ब्रेल साइनेज, इमरजेंसी टॉक-बैक तंत्र, पैसेंजर सर्विलांस सिस्टम और सूचना और गंतव्य बोर्ड की जानकारी जैसे अत्याधुनिक फीचर्स प्राइवेट कंपनियों द्वारा चलाई जाने वाली ट्रेनों में हो सकते हैं। बुधवार को रेलवे द्वारा निजी ट्रेनों के लिए साझा किये गए एक ड्राफ्ट में कहा गया कि ये ट्रेनें यात्रियों को शोर-मुक्त यात्रा प्रदान करेंगी और 180 किमी / घंटा की रफ़्तार से चलने में सक्षम होंगी।

ड्राफ्ट के अनुसार, ” ट्रेन को ऐसे डिजाइन किया जाएगा ताकि वे 180 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से सुरक्षित रूप से काम कर सकें। ट्रेन लेवल ट्रैक पर अधिकतम 140 सेकंड में 0 किमी प्रति घंटे से 160 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार पकड़ने में सक्षम होगी।” इसके अनुसार, “प्रत्येक कोच में दोनों तरफ न्यूनतम चार विद्युत / वायवीय रूप से संचालित, प्लग प्रकार के दरवाजे होंगे।”

इन ट्रेनों में जो इमरजेंसी ब्रेक होंगे वह 160 किमी प्रति घंटे की गति चल रही ट्रेन को 1,250 मीटर से कम दूरी पर रोक सकती हैं। इन ट्रनों को ऐसे डिज़ाइन किया जाएगा जैसे कम से कम इन्हें 35 साल तक इस्तेमाल किया जा सके। डोर मैकेनिज्म में सुरक्षा का प्रावधान होगा, जिसके तहत ट्रेन तब तक शुरू नहीं होगी, जब तक कि सभी दरवाजे बंद न हो जाएं और विद्युतीय रूप से लॉक न हो जाएं। ड्राफ्ट में कहा गया है, “यात्रियों को आपातकालीन स्थिति में ट्रेन को रोकने के लिए दरवाजे खोलने का प्रावधान दिया जाएगा।” 

पैसेंजर के लिए खतरे से मुक्त वातावरण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, ट्रेन में पर्याप्त हैंडहोल्ड प्रदान किए जाएंगे। वहीं सामान्य और आपातकालीन उपकरण और नियंत्रण जो उपयोगकर्ता या चालक दल संचालित कर सकते हैं, उन्हें आसान रूप से पहचाना जा सकेगा, उसे टेक्स्ट और ग्राफिक दोनों स्वरूपों में प्रस्तुत किया जाएगा। यात्री आपातकालीन संकेत को  ब्रेल में भी दिया जाएगा।

कोच में जीरो डिस्चार्ज टॉयलेट सिस्टम होगा. साथ ही ट्रेनों को बाहरी शोर-गुल से पूरी तरह मुक्त रखने की शर्त भी रखी गई है। साथ ही यात्रा के दौरान कंपन न हो, दरवाजों के पास इमरजेंसी बटन हो जिससे यात्री जरूरत पड़ने पर सीधे रेल कर्मचारियों से बात कर सकें। ट्रेन में आने वाले स्टेशन और अन्य सभी जरूरी जानकारी डिस्प्ले पर दी जानी चाहिए। ये जानकारी हिन्दी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में प्रदर्शित होगी।

यात्री कोच निगरानी प्रणाली (पीआरएसएस) में आईपी आधारित क्लोज सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) नेटवर्क, सर्विलांस कैमरे और अन्य सामान शामिल होंगे, जो चयनित कैमरों के लिए केंद्रीय सर्वर पर वीडियो स्ट्रीमिंग के लिए ऑनबोर्ड उपकरण के साथ आवश्यक होते हैं।

ड्राफ्ट के अनुसार, यात्री क्षेत्र को कवर करने के लिए न्यूनतम छह निगरानी कैमरों के साथ ट्रेन की प्रत्येक सिटिंग कार प्रदान की जाएगी। ट्रेन में प्रत्येक कोच में एक इमरजेंसी टॉक-बैक [ETB] भी होगा। “एक बार दबाए जाने / संचालित होने के बाद, यात्री के लिए ट्रेन चालक / गार्ड के साथ संवाद करना संभव होगा। यदि एक से अधिक आपातकालीन उपकरण संचालित किए गए हैं, तो प्रत्येक मांग को स्वतंत्र रूप से स्वीकार किया जाएगा।”