Punjab farmers' organization refused to participate in meeting with Center on agricultural laws

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चंडीगढ़. पंजाब के किसानों के संगठन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (केएमएससी) ने कृषि कानूनों पर केंद्र द्वारा बुलायी गयी बैठक में भाग लेने से मंगलवार को मना कर दिया और वार्ता के लिए सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाने की मांग की। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कोविड-19 महामारी और ठंड का हवाला देते हुए सोमवार को किसान संगठनों के नेताओं को तीन दिसंबर के बजाए मंगलवार को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। नए कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार छठे दिन दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर हजारों किसान डटे हुए हैं।

किसानों को आशंका है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कारोबारी घरानों को बढ़ावा मिलेगा। केएमएससी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने बताया, ‘‘विभिन्न किसान संगठनों की एक कमेटी को आमंत्रित नहीं किया गया और बैठक में प्रधानमंत्री भी हिस्सा नहीं ले रहे हैं । इन कारणों से केएमएससी बैठक में हिस्सा नहीं लेगी।” पंढेर ने आरोप लगाया कि सरकार सभी किसान संगठनों को आमंत्रित नहीं कर प्रदर्शनकारी किसानों को बांटने का प्रयास कर रही है । उन्होंने कहा, ‘‘अगर पंजाब के 32 किसान संगठनों को वार्ता के लिए बुलाया गया है तो करीब 500 किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली कमेटी को भी आमंत्रित करना चाहिए।”

उन्होंने दावा किया, ‘‘सभी किसान संगठनों को आमंत्रित नहीं करना किसान संगठनों को बांटने की कोशिश है। अगर हम बैठक में हिस्सा लेंगे तो समझा जाएगा कि (कृषि कानूनों के खिलाफ)यह आंदोलन केवल पंजाब में हुआ। हो सकता है कि यह केंद्र का षड्यंत्र हो। ” कृषि कानून को किसान बिरादरी के हित में बताने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पंढेर ने कहा, ‘‘बैठक के पहले ही वह (प्रधानमंत्री) अपना निर्णय ले चुके हैं। प्रधानमंत्री के निर्णय के खिलाफ कोई भी मंत्री नहीं जाएगा।”(एजेंसी)