Rafale Deal : सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका, सरकार को बड़ी राहत

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार 14 नवंबर 2019 को राफेल विमान सौदा मामले में दायर पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दी है। कोर्ट के इस फैसले से सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार 14 नवंबर 2019 को राफेल विमान सौदा मामले में दायर पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दी है। कोर्ट के इस फैसले से सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा, ‘‘हमने पाया कि पुनर्विचार याचिकाएं सुनवायी योग्य नहीं हैं।”

14 दिसंबर 2018 के फैसले में कहा गया था कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने में निर्णय निर्धारण की प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई बात नहीं है। उच्चतम कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि इस सौदे के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान राफेल विमान सौदे का मामला काफी बड़ा हो गया था। फ्रांस से राफेल विमान खरीदने की प्रक्रिया में दो जनहित याचिका दायर की गई थीं, जिसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा विमान की कीमत, कॉन्ट्रैक्ट, कंपनी की भूमिका पर सवाल खड़ा किया गया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदालत इस मामले में दखल नहीं दे सकती है, साथ ही खरीद प्रक्रिया पर कोई सवाल खड़े नहीं किए गए थे। इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। जिसमें सरकार पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किए जाने का आरोप लगाया गया था। राफेल विमान सौदे पर भारत और फ्रांस अब आगे बढ़ चुके हैं। भारत को पहला राफेल विमान मिल भी गया है।

आपको बता दें कि 31 जनवरी 2012 को, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की थी कि डसॉल्ट राफेल भारतीय वायु सेना को 126 एयरक्राफ्ट की आपूर्ति करेगा, अथवा 63 अतिरिक्त विमानों खरीदने का विकल्प देगा। पूर्व की कांग्रेस सरकार में पहले 18 विमानों को डसॉल्ट राफेल द्वारा आपूर्ति की जानी थी और शेष 108 विमानों का निर्माण हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया जाना था। डसॉल्ट से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ। डसॉल्ट राफेल को सबसे कम बोली लगाने वाले के आधार पे चुना गया था। लेकिन सौदों को लेकर कांग्रेस सरकार किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। मोदी सरकार आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा फ़्रांस की यात्रा के दौरान इस डील को आगे बढ़ाते हुए दोनों देशो ने इस पर अपनी सहमति दे दी।