जयपुर: राजस्थान में गहलोत सरकार आए संकट लगातार बरक़रार है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच शुर विवाद बढ़ता जा रहा है. पायलट ने अपने बगावती सुर और तेज कर दिए है. गहलोत ने अपनी सरकार बचने के लिए मुख्यमंत्री आवास पर विधायकों की परेड करा कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया. जिसके बाद अपने विधायकों को बचाने के लिए सभी को बसों में बिठाकर एक रिसोर्ट में ले जाया गया है. इस दौरान सभी ने विक्ट्री निशान दिखाते हुए ‘आल इस वेल’ कहा.
#Rajasthan : Buses, carrying MLAs, leave from the residence of Chief Minister Ashok Gehlot after the Congress Legislative Party (CLP) meeting concluded. One of the MLAs says, “All is well.” pic.twitter.com/shZGBXlHQN
— ANI (@ANI) July 13, 2020
सीएलपी मीट में पारित प्रस्ताव
मुख्यमंत्री आवास पर हुई सीएलपी मीट में पारित प्रस्ताव कर गिया गया. जिसमे कहा, ‘बीजेपी द्वारा लोकतंत्र का यह चीरहरण राजस्थान के 8 करोड़ लोगों का अपमान है, वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे. सीएलपी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता राहुल गांधी पर अपना विश्वास व्यक्त करती है, और अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार का सर्वसम्मति से समर्थन करती है.
प्रस्ताव में कहा गया कि,’ किसी भी पदाधिकारी या विधायक दल के सदस्य के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए जो कांग्रेस सरकार, पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में लिप्त हो या किसी साजिश में शामिल हो.’
प्रियंका गांधी ने संभाली कमान
उपमुख्यमंत्री सचिन को मनाने के लिए और पुन्हा पार्टी में शामिल करने के लिए कांग्रेस ने विकल्प छोड़ा हुआ है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कमान अपने हाथ में लेते हुए पायलट से बात की और उन्हें फिर से पार्टी में शामिल होने का कहा है. इसी के साथ उन्हें आश्वासन दिया गया है कि पार्टी में उनकी प्रतिष्ठा पर कोई आंच नही आएगी और उनका पूरा सम्मान दिया जाएगा. पप्रियंका के अलवा कांग्रेस के चार अन्य बड़े नेताओं ने पायलट से बात की है. जिसमे राहुल गांधी, पी.चिदंबरम और रणदीप सुरजेवाला शामिल है.
सुलह करने पायलट ने राखी शर्त
सूत्रों से मिली जानकरी के अनुसार प्रियंका से बात करेने के दौरान सचिन ने पार्टी में पुन्हा वापिस आने और मुख्यमंत्री से सुलह करने के लिए कई शर्ते राखी है. जिसमे प्रदेश अध्यक्ष का पद उनके पास ही रहे. उन्हें उपमुख्यमंत्री पद वापस दिया जाये. इसी के साथ उनके चार समर्थक विधायकों को मंत्री बनाया जाए, और साथ में गृह और वित्त मंत्रालय उनको दे.