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अयोध्या/नई दिल्ली. श्रीराम जन्मभूमि के लिए अधिग्रहीत67 एकड़ भूमि में दायरे में कब्रिस्तान होने के 9 मुसलमानों के दावे को अयोध्या प्रशासन ने नकार दिया है। प्रशासन ने मंगलवार को यह जवाब एक पत्र

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अयोध्या/नई दिल्ली. श्रीराम जन्मभूमि के लिए अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि में दायरे में कब्रिस्तान होने के 9 मुसलमानों के दावे को अयोध्या प्रशासन ने नकार दिया है। प्रशासन ने मंगलवार को यह जवाब एक पत्र के जरिए दिया।

जानकारी के लिए बतादें कि मुस्लिम पक्ष के वकील रहे एमआर शमशाद ने 9 मुस्लिमों की तरफ से श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र को पत्र भेजकर कहा था कि 67 एकड़ भूमि में 1480 वर्ग मीटर के क्षेत्र में मुसलमानों के कब्रिस्तान पर नए राम मंदिर का निर्माण न करें। 

पत्र में लिखा था कि आज भले ही मौके पर कब्र न दिख रही हो लेकिन वहाँ की 4-5 एकड़ जमीन पर मुस्लिमों की कब्रें थीं, ऐसे में वहाँ मंदिर का कैसे निर्माण किया जा सकता है? यह धर्म के विरुद्ध है। 1855 के दंगों में 75 मुस्लिम मारे गए थे और सभी को यहीं दफनाया गया था। 

इसके जवाब में अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा ने कहा, "वर्तमान में राम जन्मभूमि के 67 एकड़ के परिसर में कोई कब्रिस्तान नहीं है"। झा ने कहा कि, अयोध्या मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की सुनवाई के दौरान इन सभी बातों का जिक्र किया गया था। साथ ही वकील एमआर शमशाद जिन तथ्यों की बात कर रहे हैं, वो भी सुनवाई के दौरान सामने आया। 9 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले में इन सभी तथ्योंका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।

जिलाधिकारी ने कहा, "उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद 67 एकड़ जमीन केंद्र को हस्तांतरित की गई थी।राम जन्मभूमि पर कोई कब्रिस्तान मौजूद नहीं है। हम उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन कर रहे हैं।"

गौरतलब है कि, 9 नवंबर 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने लंबे समय से चल रहे मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण करने का आदेश दिया था। इसी के साथ मंदिर निर्माण के लिए अधिग्रहीत की 67.03 एकड़ जमीन भी मंदिर ट्रस्ट को देने का निर्णय दिया था। इसके अलावा न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या में ही मस्जिद के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाने की बात कही थी।