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    नयी दिल्ली: कोरोना महामारी (Coronavirus Outbreaks) के मद्देनजर देश भर में लागू किए गए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान केंद्र सरकार (Modi Govt) द्वारा तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द किए जाने का मामला सोमवार को राज्यसभा में उठा। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज झा (RJD Leader Manoj Jha) ने शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए रद्द किए राशन कार्ड फिर से बहाल किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना के दौर में तीन से चार करोड़ राशन कार्ड रद्द किए जाने संबंधी चिंताजनक खबरें सामने आई है। पहले तो कहा गया था ये सभी राशन कार्ड बोगस है लेकिन बाद में पता चला कि तकनीकी कारणों से ये राशन कार्ड रद्द किए गए हैं। देश के जनजातीय और ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की क्या व्यवस्था है, इससे सभी परिचित हैं।”

    उन्होंने कहा, ‘‘मेरा आग्रह है कि इन सभी राशन कार्ड को फिर से बहाल किया जाए।” झा ने कहा कि देश में यदि भूखमरी से एक भी मौत होती है तो यह समाज के लिए अशोभनीय टिप्पणी होगी। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत देश के सभी जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने थे लेकिन अभी तक किसी भी राज्य ने इसे लागू नहीं किया है।

    उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने खाद्य विभाग के कर्मचारियों को ही नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त कर दिया। उन्होंने सभी राज्यों में जल्द से जल्द नोडल अधिकारी नियुक्त करने की मांग की। उच्च सदन के नामांकित सदस्य नरेन्द्र जाधव ने साइबर हमलों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से गंभीर मुद्दा बताया।  

    उन्होंने पिछले दिनों मुंबई में पावर ग्रिड पर और भारत में वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और भारत बायोटेक के आईटी सिस्टम पर हुए साइबर हमले का उदाहण दिया और इसे खतरे की घंटी बताया। उन्होंने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की मांग की।

    भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा गठित किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि लंबे समय से इसकी मांग हो रही लेकिन अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया है।  

    उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि अखिल भारतीय न्यायायिक सेवा का गठन किया जाए। मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि सभी हितधारकों को विश्वास में लेते हुए इस दिशा में कदम उठाया जाए। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड यानी दिवालिया कानून) की तरह यह न्यायिक सुधार के क्षेत्र में एक मील के पत्थर साबित होगा।”