संजय राउत का दावा इंदिरा गाँधी का था अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन, जाने कौन था करीम लाला

मुंबई, महाराष्ट्र की सियासत में नित-प्रतिदिन नयी-नयी बयानबाजी होती रहती हैं। इन बयानबाजी का मुख्य कार्य राजनीति में अपनी विरोधी पार्टीयों के ऊपर वरीयता प्राप्त करना है। फिर यह बयानबाजी

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मुंबई, महाराष्ट्र की सियासत में  नित-प्रतिदिन नयी-नयी बयानबाजी होती रहती हैं। इन बयानबाजी का मुख्य कार्य राजनीति में अपनी विरोधी पार्टीयों के ऊपर वरीयता प्राप्त करना है। फिर यह बयानबाजी व्यक्तिगत भी हो सकती हैं  जैसे बुधवार को शिवसेना के कद्दावर नेता संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को लेकर दिया है जिससे सियासी हलकों में बवाल मचा हुआ है। संजय राउत के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मुंबई में पुराने डॉन करीम लाला से मिलने आती रहतीं  थीं। राउत ने मुंबई में अंडरवर्ल्ड के दिनों को याद करते हुए अपने वक्तव्य में  कहा कि दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील और शरद शेट्टी जैसे गैंगस्टर महानगर और आस-पास के क्षेत्रों पर नियंत्रण रखते थे।राउत मुंबई के एक पुरस्कार समारोह के दौरान एक मीडिया समूह को दिए साक्षात्कार में यह भी  कहा कि वे तय करते थे कि पुलिस आयुक्त कौन बनेगा, मंत्रालय (सचिवालय) में कौन बैठेगा।

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इस बयान के बाद इसका राजनीतिकरण निसंदेह शुरू हो चूका है।  लेकिन आइये आपको इस बयान के मुख्य व्यक्ति करीम लाला के बारें में कुछ बताते हैं की कैसे इस व्यक्ति ने एक समय पूरी मुंबई को अपने मुट्ठी में बंद करके रखा था। कारण लाला एक कुख्यात माफिया डॉन थे जो भारत में साठ से अस्सी के दशक में  भारत में "मुंबई के तीन माफिया डॉन्स" में से एक के रूप में काफी बदनाम थे। दो दशकों से अधिक तक  वह खूंखार "पठान गैंग" का नेता था, जो दक्षिण मुंबई के डोंगरी, नागपाड़ा, भेंडी बाज़ार और मोहम्मद अली रोड जैसे जगहों पर  अपराधी मुस्लिम गुटों का संचालन करता था। यह "पठान गैंग" अवैध जुआ (सट्टा) और शराब की तस्करी, अवैध धन की वसूली, अवैध भूमि बेदखली, अपहरण, हफ्ता वसुली , कॉन्ट्रैक्ट किलिंग (सुपारी), नशीले पदार्थों के वितरण और नकली मुद्रा के संचालन भी शामिल था।

वैसे तो करीम लाला काफी खतरनाक था और उसका आतंक भी  मुंबई में सिर चढ़कर बोलता था।  मुंबई में तस्करी समते कई गैर कानूनी धंधों सिर्फ उसके नाम से चलते थे।  यह भी कहा जाता है कि वह जरूरतमंदों और गरीबों की मदद भी करता था। अब्दुल करीम शेर खान उर्फ करीम लाला ने 21 साल की उम्र में हिंदुस्तान में आकर अपना कारोबार शुरू किया था लेकिन इसकी आड़ में वह मुंबई डॉक से हीरे और जवाहरात की तस्करी का धंधा करता था। सन  1940 तक उसने इस काम  काफी मुनाफा कमा लिया था। इसके बाद उसने मुंबई में कई जगहों पर अवैध दारू और जुए के अड्डे भी खोल दिए थे।  

करीम लाला मुंबई के फिल्म उद्योग और इसके नामचीन अभिनेताओं के बीच गहरी पैठ थी। दिलीप कुमार और हेलेन उनके अभिन्न मित्रों में से एक थे। हेलेन की तो करीम लाला ने दिलीप कुमार के कहने पर मदद भी की थी। कहते है कि करीम लाला ने अब के कुख्यात डॉन दावूद इब्राहिम की एक बार जमकर  पिटाई भी  की थी।  इस दौरान दाऊद को गंभीर चोटें आई थीं।  यह बात मुंबई के अंडरवर्ल्ड में आज भी जानी और मानी जाती है। हालाँकि बाद में इनकी दुश्मनी भी खूब बढ़ी जो इन लोगो ने एक-दूसरे के भाइयों को मारकर और घनी हो गयी। 

करीम लाला के सम्बंद अपने समकक्ष दूसरे डॉन जैसे  मस्तान मिर्जा उर्फ ​​हाजी मस्तान और वरदराजन मुदलियार से मधुर सम्बन्ध थे। करीम लाला मुंबई में अपने घर पर हर शाम जनता दरबार लगाता था। जहां वो लोगों से मिलता था. और जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करता था। आने वाले समय में दाऊद इब्राहिम ने करीम लाला की पूरी गैंग का सफाया कर दिया और 90 साल की उम्र में 19 फरवरी, 2002 को मुंबई में ही करीम लाला की मौत हो गई। भले ही मुंबई की अपराध की गलियों में दाऊद  इब्राहिम को सबसे कामयाब डॉन माना गया लेकिन मुंबई के अंडरवर्ल्ड के जानकार करीम लाला को ही पहला अंडरवर्ल्ड डॉन मानते हैं।