नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के वकीलों की संस्था ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी (Andhra Pradesh CM Jagan Mohan Reddy) द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े (S.A. Bobde) को पत्र लिखे जाने की आलोचना की है। इस पत्र में रेड्डी ने उच्चतम न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन (एससीबीए) ने अपने प्रस्ताव में कहा कि “परिपाटी के विपरीत संवैधानिक पदाधिकारियों के ऐसे कृत्य भारत के संविधान में निहित न्यायापालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाली गंभीर दखलंदाजी हैं।”
इससे पहले वकीलों की एक अन्य संस्था सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड असोसिएशन (एससीएओआरए) ने भी रेड्डी द्वारा लिखे पत्र को “अवांछित” तरीके से जारी किये जाने की निंदा करते हुए कहा था कि यह “न्यायपालिका की स्वतंत्रता का हनन और उसकी बदनामी करने वाला है।” एससीएओआरए के इस प्रस्ताव के कुछ दिनों बाद ही एससीबीए का यह प्रस्ताव आया है।
एससीबीए के प्रस्ताव में कहा गया कि उसकी कार्यकारी समिति ने 16 अक्टूबर को एक बैठक में प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा जारी किये जाने के कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा की थी। इस पत्र के जरिये उन्होंने उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाए थे। दिल्ली हाईकोर्ट बार असोसिएशन (डीएससीबीए) भी इस हफ्ते इस पत्र की आलोचना कर चुकी है। (एजेंसी)