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मुंबई, राजनीति कभी मित्र दुश्मन भी हो सकते वही कभी दुश्मन मित्र भी हो सकते हैं। जहाँ कल तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उध्हव ठाकरे राम मंदिर पर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ कर रहे थे

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मुंबई, राजनीति कभी मित्र दुश्मन भी हो सकते वही कभी दुश्मन मित्र भी हो सकते हैं। जहाँ कल तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उध्हव ठाकरे राम मंदिर पर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ कर रहे थे वही आज "सामना" हिंदू-मुस्लिम और बटला हाउस जैसे मुद्दों को लेकर मोदी पर चढ़ाई कर रहे हैं और दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की तारीफ।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र "सामना" में संपादकीय में यह कहा है कि चुनाव के दौरान हिंदू-मुस्लिम और बटला हाउस जैसे मुद्दों को उठा कर मोदी गलत  कर रहे हैं वहीं केजरीवाल अपने राज्य के चुनाव में काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं जो की निश्चय ही सराहना योग्य है। सामना यह भी कहता है कि महाराष्ट्र और झारखंड में हारने के बाद अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में भी इसी प्रकार के हथकंडो का इस्तेमाल किया लेकिन तमाम चुनावी स्टंट के बाद भी केजरीवाल का कोई बाल भी बांका नहीं कर पा रहा है।

जहाँ "सामना" में शिवसेना ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों और मोहल्ला क्लीनिकों के कार्यो और मॉडल की सराहना की वहीं आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और अरविन्द केजरीवाल के सताह्ना में लिखा कि ‘यह जरूर है कि केजरीवाल के साथ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह भी एक तथ्य है कि अपनी सीमित शक्ति और केंद्र द्वारा तमाम गतिरोध के रहते शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक सुविधाओं के क्षेत्र में उनका काम बहुत सराहनीय है।

"सामना" का संपादकीय यह भी कहता है कि बीजेपी जिस तरह से केजरीवाल और उनकी सरकार की बढ़ाई की जगह उनके विरुद्ध जिस तरह से अभियान चला रह है वह गलत है। किसी राज्य के सरकार के सत्कार्य की तारीफ करने के बजाये उसकी बेवजह नकारात्मक कहना बहुत गलत है और वैसे भी सही तारीफ करना दिल्ली केंद्र सरकार के बुते के बहार की बात है। मोदी जी की सरकार चाहती तो केजरीवाल की दूरदर्शिता का इस्तेमाल करते हुए दूसरे राज्यों में भी उनके इस कार्य मॉडल का इस्तेमाल कर सकती थी।