उद्योग जगत के बड़े दिग्गजों के साथ उद्धव ठाकरे ने की बैठक, अजित पवार को किया किनारे

मुंबई, महाराष्ट्र मे दिन प्रतिदिन उद्धव सरकार में खटपट की खबरें सुनाई दे रहीं हैं। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार लगभग एक महीने पुरानी हो चुकी है। एक तो शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की विचारधारा मेल

Loading

मुंबई, महाराष्ट्र मे दिन प्रतिदिन उद्धव सरकार में खटपट की खबरें सुनाई दे रहीं हैं। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार लगभग एक महीने पुरानी हो चुकी है। एक तो शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की विचारधारा मेल नहीं खाने से गतिरोध उत्पन्न हो रहे हैं। वैसे यह टक्कर उनके आपसी कार्य समन्वय,संवाद और एक दूसरे एक अहम् के टक्कर को लेकर है। ताजा किस्सा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के उद्योग पतियों के साथ हुई बैठक का है जहाँ उपमुख्यमंत्री अजित पवार को न बुलाने को लेकर है। जिसके चलते कांग्रेस-एनसीपी अच्छी खासी नाराज चल रही है। 

ख़बरों के अनुसार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कल मुंबई में उद्योग जगत की जानी-मानी हस्तियों के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक में जहाँ उद्योग जगत के जामे-माने लोग जैसे मुकेश अंबानी, रतन टाटा औरअन्य हस्तियां शामिल हुईं थीं। वहीं बैठक में मुख़्यमंत्री उद्धव के साथ उनके सुपुत्र आदित्य ठाकरे और सुभाष देसाई जैसे मंत्री भी शामिल हुए जिनके पास पर्यटन, पर्यावरण या उद्योग मंत्रालय आदि है। लेकिन ख़ास बात यह रही इस इस बैठक में उप-मुख्यमंत्री अजित पवार नदारद थे। सूत्रों से पता लगाया गया तो इस बैठक की खबर अजित पवार को नहीं दी गयी थी न ही उनके कार्यलय को ये खबर दी गयी कि इस तरह की किसी बैठक का आयोजन भी किया गया है । 
 
कहा जा रहा है की ऐसा जानबुझ के किया गया क्युँकि उध्हव ठाकरे मुंबई के उद्योग जगत को ये सन्देश देना चाह रहे थी कि इस महा विकास अघाड़ी सरकार के वही एकलौते प्रभारी हैं। फिर ऐसा इसलिए भी किया गया क्युँकि पूर्व में जब महाराष्ट्र विधानसभा में एक दिनी विशेष सत्र बुलाया गया था जोकेंद्र सरकार के एससी/एसटी आरक्षण को अगले 10 साल के लिए बढ़ाने से जुड़े बिल की मंजूरी से जुड़ा था। तब विधानसभा स्पीकर कांग्रेस के नाना पटोले ने इस विशेष सत्र का लाभ उठाते हुए स्वत: संज्ञान के तहत जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव पेश कर दिया था , जिसका विधानसभा के निचले सदन ने अनुमोदन भी कर दिया था। हालाँकि देखा जाये तो इस प्रकार का प्रस्ताव मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री पेश करते हैं या फिर कोई विधानसभा सदस्य ही पेश करता है। पूछने पर श्री पटोले ने कहा कि "जनगणना का जो प्रस्ताव पेश किया गया, वह सर्वसम्मति से पारित भी हो गया है। फिर हमें ऐसा लगा कि यह राजनीतिक रूप से लाभदायक सिद्ध होगा, इसलिए कांग्रेस ने इसे इस तरह से आगे बढ़ाया है। " 
 
वहीं अब शरद पवार ने कहा है कि कि मुख्यमंत्री उद्धव और कांग्रेस नेताओं को अघाड़ी सरकार के अंदर इस तरह की भ्रम की स्थिति और संवादहीनता से बचा होगा क्युँकि इसके बिना सामंजस्य बैठाने में मुश्किल होती है। वैसे आपको बता दें की इसी तरह पहले भी मंत्रिमंडल विभागों के बंटवारे के समय इस तरह की आपसी खटपट की खबरें सुनने को मिली थी। अब ये भी देखना प्रासंगिक होगा की अगर आगे भी इस तरह की संवादहीनता या कहें कि आपसी अहम् के टकराने का वाक़या आगे भी होता रहा तो आने वाले बजट सत्र में इस महा विकास अघाड़ी सरकार के समक्ष काफी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। खैर ये तो समय ही बताएगा, फिलहाल तो उपमुख्यमंत्री अजित पवार के इस पर वक्तव्य का इंतजार हो रहा है।