लॉकडाउन के दौरान वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार – सीपीसीबी

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नयी दिल्ली. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) (Central Pollution Control Board) ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस (Corona Virus) से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान प्रतिबंधित मानवजनित गतिविधियों से वायु गुणवत्ता (Air Quality) में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया, लेकिन ऐसी वायु गुणवत्ता प्रबंधन रणनीतियों की भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ती है। सीपीसीबी के 46वें स्थापना दिवस पर डिजिटल समारोह (Digital) के दौरान जारी की गई ‘परिवेशी वायु गुणवत्ता पर लॉकडाउन का प्रभाव’ (Effect of lockdown on ambient air quality) रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान पीएम 2.5 में 24 प्रतिशत की कमी आई और लॉकडाउन चरणों के दौरान इसमें वर्ष 2019 के स्तर के मुकाबले लगभग 50 प्रतिशत की कमी देखी गई।

पर्यावरण राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो (Minister of State for Environment Babul Supriyo) ने यह रिपोर्ट जारी की। इस दौरान उन्होंने वायु प्रदूषण (air pollution) के बारे में जागरूकता फैलाने में योगदान के लिए सीपीसीबी की प्रशंसा की। सुप्रियो ने कहा, ‘‘सीपीसीबी पिछले चार दशकों से बहुत लगन से काम कर रहा है। इसने भारत के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने हमारे द्वारा सांस के जरिये ली जाने वाले हवा के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा की।” सीपीसीबी की रिपोर्ट में पूर्व-लॉकडाउन चरण 1-21 मार्च, लॉकडाउन के पहले चरण 25 मार्च से 19 अप्रैल और लॉकडाउन के दूसरे चरण 20 अप्रैल से तीन मई तक की अवधि को शामिल किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में वायु की गुणवत्ता के स्तर में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। यह भी देखा गया है कि 2020 में लॉकडाउन से पहले की अवधि के दौरान भी हवा की गुणवत्ता के स्तर में सुधार हुआ है। यह मौसम संबंधी स्थितियों के साथ-साथ इस तथ्य के कारण भी हो सकता है कि मानवजनित गतिविधियों पर कुछ प्रतिबंध था और सिनेमा हॉल, स्कूल और कॉलेजों पर पाबंदियां लगी थीं।” रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘पार्टिकुलेट मैटर(पीएम) के स्तर के संदर्भ में पीएम2.5 में लॉकडाउन से पहले की अवधि के दौरान 24 प्रतिशत की कमी आई और लॉकडाउन के दोनों चरणों में इसमें लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई। 2019 में समान समयावधि के दूसरे चरण के दौरान लॉकडाउन के दूसरे चरण के दौरान पीएम10 में 60 प्रतिशत की भारी गिरावट आई, एनओ2 का स्तर 64 प्रतिशत और एसओ2 का 35 प्रतिशत तक कम हो गया।”

रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) पर ‘बेहतर’, ‘संतोषजनक’ और ‘मध्यम’ दिनों की संख्या 2019 में 17 के मुकाबले 2020 में 40 हो गई और ‘खराब’, ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ एक्यूआई दिनों की संख्या 2019 में 23 के मुकाबले 2020 में शून्य हो गई। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के शहरों में वायु प्रदूषण में कमी की प्रवृत्ति दिल्ली के समान थी, और एनसीआर के शहरों में कुछ प्रदूषकों में कमी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ज्यादातर पड़ोसी कस्बों में लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान पीएम2.5 और पीएम10 के स्तर में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई और गुरूग्राम में 61 प्रतिशत तक की कमी आई जबकि गाजियाबाद में 2019 के स्तर की तुलना में पीएम2.5 के स्तर में 54 प्रतिशत की कमी आई है।” इसके अनुसार, ‘‘लॉकडाउन के दूसरे चरण में 2019 के स्तर की तुलना में पीएम 10 का स्तर गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद में लगभग 60 प्रतिशत तक कम हो गया।” रिपोर्ट आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर के सहयोग से सीपीसीबी के सदस्य सचिव प्रशांत गरगावा की देखरेख में तैयार की गई है। (एजेंसी)