नयी दिल्ली. मोदी सरकार (Narendra Modi) ने प्रदर्शन कर रहीं 40 किसान यूनियनों के नेताओं के साथ बुधवार को होने वाली छठे दौर की महत्वपूर्ण वार्ता रद्द कर दी। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और कुछ किसान नेताओं के बीच मंगलवार रात हुई बातचीत के विफल रहने के बाद किसानों ने सरकार के साथ वार्ता करने से इनकार कर दिया था।
क्या कहा कृषि मंत्रालय ने:
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ किसान यूनियन के नेताओं के साथ आज की वार्ता रद्द कर दी गई है।” सरकार के तीनों कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों में महत्वपूर्ण संशोधन के सबंध में लिखित प्रस्ताव किसान यूनियन को भेजने की औपचारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है।
क्या हुआ बैठक में:
केन्द्रीय गृह मंत्री की अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्ला और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राकेश टिकैत सहित किसान यूनियन नेताओं के एक समूह के साथ मंगलवार को हुई बैठक में भी कोई हल नहीं निकल पाया था।बैठक में, शाह ने लिखित रूप में तीन कृषि कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन की पेशकश की थी, लेकिन कुछ किसान नेताओं ने कहा था कि वे बुधवार को प्रस्तावित बैठक में शामिल नहीं होंगे। इन नेताओं ने कहा था कि सरकार के लिखित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद ही अगले कदम पर निर्णय किया जाएगा।
If the writing is on amendment, our position is very clear. If it’s on repeal of the Bill, only then can we take note of it & consider. That meeting (today’s meeting with Centre) is cancelled. If letter comes & we consider it positive, meeting can be held tomorrow: Hannan Mollah https://t.co/CAduXcEEVd
— ANI (@ANI) December 9, 2020
We’ll hold a meeting over the draft that will be sent by Centre. That meeting (6th round of talks with Govt) is cancelled. Draft will be discussed & further course of action will be decided. We hope things will be clear by 4-5 pm today: Rakesh Tikait, Spox, Bharatiya Kisan Union pic.twitter.com/fWvDTbZaJw
— ANI (@ANI) December 9, 2020
क्या हुआ अब तक:
किसानों और सरकार के बीच अभी तक पांच बार बैठक हो चुकी है, लेकिन मामले का कोई हल नहीं निकल पाया है। प्रदर्शन कर रहे किसान काननू में संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए, इन्हें वापस लिए जाने की मांग पर अडिग हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।