Court extends protection period for TV anchor Amish Devgan from punitive action

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नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बारे में कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर दर्ज मामलों के संबंध में टीवी समाचार एंकर अमीश देवगन को दंडात्मक कार्रवाई से प्राप्त संरक्षण की अवधि बुधवार को बढ़ा दी। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन राज्यों, जहां मामले दर्ज किये गये हैं, सहित सभी प्रतिवादियों और देवगन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वालों से को इस याचिका पर अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

इस मामले में अब छह अगस्त को आगे सुनवाई होगी। देवगन की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और वकील मृणाल भारती ने पीठ को बताया कि इस मामले में बहस की सारी प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिउ। न्यायालय ने इसके साथ ही देवगन को 26 जून को दी अंतरिम राहत अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दी। देवगन के खिलाफ 15 जून को अपने चैनल पर ‘आर पार’ नाम के कार्यक्रम में सूफी संत के लिए अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करने के आरोप में राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना में पांच प्राथमिकियां दर्ज हैं। हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट कर माफी मांगते हुए कहा था कि वह असल में मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी का जिक्र कर रहे थे और अनजाने में चिश्ती का नाम ले लिया। इससे पहले न्यायालय ने पत्रकार को अंतरिम राहत दी थी और पुलिस एजेंसियों द्वारा उनके खिलाफ मामलों में जांच पर रोक लगा दी थी। देवगन ने कहा कि वह एक ट्वीट के जरिए पहले ही स्पष्टीकरण दे चुके है और जबान फिसलने को अपराध नहीं माना जा सकता।