बाबरी मामले में आरोपियों का बरी होना न्याय का मजाक: माकपा

Loading

नयी दिल्ली. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बुधवार को दावा किया कि बाबरी विध्वंस मामले में विशेष सीबीआई अदालत द्वारा आरोपियों को बरी करना न्याय का मजाक है। माकपा पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा, ‘‘आरोपियों का बरी होना न्याय का मजाक है। फैसला आने में 28 साल लग गए, लेकिन न्याय नहीं हुआ।” उसने कहा, ‘‘पिछले साल उच्चतम न्यायालय के फैसले में कहा गया था कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस कानून का घोर उल्लंघन है। अब लखनऊ की अदालत ने पाया कि इस अपराध के मुख्य सूत्रधार दोषी नहीं पाए गए।”

गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। (एजेंसी)