नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा डाला है, जिसमें उसने कहा कि वह किसी को भी दो बच्चे पैदा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।” दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में परिवार नियोजन को लेकर एक याचिका दायर किया गया था, जिसमे देश के अंदर दो बच्चे ही रखने का कानून बनाने की मांग की गई.
केंद्र सरकार ने अपने दायर जवाब याचिका में की गई मांग का विरोध करते हुए कहा, “दुनिया में जिन जिन देशों में यह व्यवस्था लागू की गई या दो बच्चों का कानून बनाया है उसे नुकसान ही हुआ है.” सरकार ने कहा, “इस कानून के वजह से पुरुषों और महिलाओं की आबादी में संतुलन बिगड़ जाता है.”
लोग खुद को दो बच्चों रख रहे
दायर हलफ़नामा में सरकार ने कहा, “देश में किए गए दो सेंसेक्स में पता चला है कि जनता अब खुद ही दो बच्चे रखना चाहते हैं. भारत में फैमिली प्लैनिंग के लिए लोगों को अपने हालात और ज़रूरत के हिसाब से नियंत्रित करने की आज़ादी दी गई है. इसे किसी पर जबरन लागू नहीं किया जा सकता.
भाजपा सांसद ने भी की मांग
देश में दो बच्चों की नीति लागू करने की मांग कई वर्षो पुरानी है. मौजूदा समय में कई केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसदों ने इस नीति को लागू करने की मांग कर चुकी है. इसी क्रम में राज्य सभा से भाजपा सांसद अनिल अग्रवाल ने पत्र लिखा कर कहा, “भारत को आत्मनिर्भर व सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना ही एकमात्र विकल्प है. मेरे अनुसार, अगर भारतवर्ष को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नजरिये के अनुसार आत्मनिर्भर व सर्वश्रेष्ठ बनना है तो जनसँख्या विस्फोट को तत्काल प्रभाव से रोकना होगा “