The government decided not to pursue the proposal for amendment in the PWD

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नई दिल्ली. भारत सरकार के सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने दिव्यांगजन अधिकार कानून में संशोधन करके छोटी आर्थिक गलतियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के अपने प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने चेक बाउंस और ऋण वापसी में चूक आदि सहित 19 कानूनों के तहत छोटी गलतियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव रखा था। इसी के अनुरुप, भारत सरकार के सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने पिछले सप्ताह अपनी वेबसाइट पर दिव्यांगजन अधिकार कानून में संशोधन का एक प्रस्ताव अपलोड कर उस पर 10 जुलाई तक प्रतिक्रिया मांगी थी।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने बृहस्पतिवार को कहा कि सलाह-मश्विरे की प्रक्रिया के दौरान उसे विभिन्न पक्षों से प्रतिक्रिया मिली कि दिव्यांगजन अधिकार कानून, 2016 के प्रावधान दिव्यांजनों की सुरक्षा और कानून को लागू करने के लिए पर्याप्त हैं। विभाग ने बयान में कहा कि सभी का मानना है कि इन गलतियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना दिव्यांगजन के अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए बने कानून की आत्मा के साथ छेड़छाड़ करने जैसा होगा। विभाग ने कहा कि इसलिए तय किया गया है कि दिव्यांगजन अधिकार कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर सलाह-मश्विरे की प्रक्रिया को बंद करने के लिए पर्याप्त आधार हैं, और इसे बंद किया जाता है। इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से अनुरोध किया था कि वह छोटी आर्थिक गलतियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने संबंधी दिव्यांगजन अधिकार कानून में प्रस्तावित संशोधन को आगे ना बढ़ावे क्योंकि इससे वर्षों में हासिल की गई छोटी-छोटी उपलब्धियां धुल जाएंगी और दिव्यांगजनों पर इसका नकारात्मक प्रभाव होगा।

दिव्यांगजन के अधिकार के लिए काम करने वाली संस्थाओं, सिविल सोसायटी संगठनों और कार्यकर्ताओं को मिलाकर कुल 125 लोगों की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। उसमें कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में दिव्यांगजन अधिकार कानून, 2016 के तहत आने वाले दंडात्मक प्रावधानों को ‘‘नरम या खत्म” करने के प्रस्ताव के खिलाफ अपनी राय रखी थी। विभाग ने दिव्यांगजन अधिकार कानून के प्रावधान 89, 92ए और 93 में संशोधन तथा एक नया प्रावधान 95ए जोड़ने का प्रस्ताव रखा था।(एजेंसी)