वर्ष 1942 में आज ही के दिन शुरू हुआ था ‘भारत छोड़ो आंदोलन’

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– मृणाल पाठक 

भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय आरंभ किया गया था. यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था. जिसमें सभी भारतीयों ने एक साथ बड़े स्तर पर भाग लिया था.

14 जुलाई 1942 को कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया एवं इसकी सार्वजनिक घोषणा से पहले 1 अगस्त को इलाहाबाद में तिलक दिवस मनाया गया. 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में हुई.  इस आंदोलन को अगस्त क्रांति आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है. भारत को जल्द ही आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजी शासन के विरुद्ध यह एक बड़ा नागरिक अवज्ञा आंदोलन था. क्रिस्प मिशन की असफलता के बाद गांधी जी ने एक और आंदोलन प्रारंभ करने का निश्चय किया था. इस आंदोलन को ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का नाम दिया गया था.

भारतीयों के मन में यह बात बैठ गई थी कि क्रिस्प मिशन अंग्रेजों की एक चाल थी, जो भारतीयों को धोखे में रखने के लिए चली गई थी. इस दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया था. जिसकी वजह से भारतीयों के मन में आंदोलन प्रारंभ करने की तीव्र भावना जागृत हो गई थी.

सन 1942 में जिन्ना द्वारा मुस्लिम समुदाय के लिए पाकिस्तान की मांग करने को अधिक प्रोत्साहित किया गया था. क्रिस्प के प्रस्तावों से पृथक्करण शक्तियों को बढ़ावा मिला. जिसके बाद मुस्लिम समुदाय और कांग्रेस के बीच संबंध खराब हो गए और मुस्लिम किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं हो रहे थे. बाद में अंग्रेजों ने भी पाकिस्तान निर्माण का समर्थन किया.

भारत छोड़ो आंदोलन सही मायने में एक जनांदोलन था जिसमें लाखों आम हिंदुस्तानी शामिल थे. इस आंदोलन में युवाओं ने बड़ी संख्या में आकर देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई. उन्होंने अपने कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाना उचित समझा.