नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosabale) ने रविवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए ताकि लोग इसके बारे में जानें लेकिन इस बारे में विधेयक लाने या नहीं लाने का फैसला सरकार को करना है।
सार्वजनिक विमर्श खासतौर पर सोशल मीडिया पर चर्चा के स्तर में गिरावट पर चिंता जताते हुए होसबोले ने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति की टिप्पणियां किसी संगठन या विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।
इंडिया फाउंडेशन द्वारा आरएसएस के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित डिजिटल परिचर्चा को संबोधित करते हुए होसबोले ने कहा कि संविधान में राज्य की नीति निर्देशक तत्वों में समान नागरिक संहिता का उल्लेख है। हालांकि, संविधान निर्माताओं ने इसके क्रियान्वयन के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, “यह फैसला सरकार को करना है कि यह (यूसीसी पर विधेयक लाने का) सही समय है या नहीं। हमें पहले इस बारे में लोगों को जागरुक करना है।” होसबोले ने कहा कि भाजपा और उसके पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ दोनों ने समान नागरिक संहिता की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपशब्द वाली भाषा की निंदा की। (एजेंसी)