शहद प्रेमियों को जोरदार झटका, डाबर, पतंजलि और इमामी जैसे टॉप ब्रांड्स टेस्ट में हुए फेल

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नयी दिल्ली. एक खबर के अनुसार विदेशी लैब में हुए एक मिलावट-जाँच के टेस्ट में देश के कई टॉप शहद (Honey) के ब्रांड्स के बुरी तरह से फेल हो गए हैं।  इन ब्रांड्स में डाबर(Dabur), पतंजलि (Patanjali) और इमामी (Emami) जैसे बड़े-बड़े नाम भी शामिल हैं।  हालांकि, अब इन तीनों ब्रांड्स ने ही मिलावट के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया।  उलटे इनके जांच के पैमाने पर ही  पर सवाल उठा दिए हैं।  जहाँ इस पर डाबर के प्रवक्ता ने इसे उनके ब्रांड का नाम खराब करने की एक घिनौनी कोशिश करार दिया। वहीं, पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण (Balkrishna) ने इसे ‘देश की प्राकृतिक शहद इंडस्ट्री की छवि’ को खराब करने की एक नकारात्मक कोशिश बताया। 

गौरतलब है कि इन ब्रांड्स के शहद में मिलावट की जांच सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरॉन्मेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ (DTE) ने की थी।  इसमें 13 ब्रांड्स के शहद के नमूने को एक जर्मन के एक लैब में भेजा गया था। 

क्या है जांच रिपोर्ट:

इस जांच में चौंकाने वाले बातें और निष्कर्ष सामने आये हैं-

  • जहाँ बड़ी कंपनियों में सिर्फ मारिको के ही ‘सफोला’ ब्रांड के शहद ने सभी टेस्ट मानकों  को पास किया है।  
  • वहीं CSE ने बताया कि अन्य ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि और इमामी के शहद, भारतीय और विदेशी स्टैंडर्ड दोनों में ही फेल हो गए। 

क्या है जांच के निष्कर्ष: 

CSE के मुताबिक, मधुमक्खियों से मिलने वाले शहद को चावल, मक्का, चुकंदर और गन्ने से बनने वाले शुगर सिरप के साथ मिलाकर ‘शुद्ध’ शहद का टैग दिया जाता है।  CSE का यह भी कहना था कि तकरीबन भारत में बिकने वाले सरे शहद के ब्रांड्स अपने शहद में शुगर सिरप का इस्तेमाल करते हैं। 

CSE का दावा: भारत सरकार जानती है इस धांधली के बारे में: 

 बात यही नहीं रूकती, सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, “यह हमारे 2003 और 2006 की जाँचों में शीतल पेय में मिली तुलना में अधिक नापाक और अधिक खतरनाक है।  इस प्रकार का शहद हमारे स्वास्थ्य के लिए अधिक नुकसानदायक है। ” इस जांच का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि टॉप ब्रांड्स के शहद में मिलावट का स्तर जांचने में भारतीय लैब्स नाकाम रही थीं. CSE की डायरेक्टर सुनीता नारायण ने बताया, “जर्मनी में न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) नाम के एडवांस्ड लैब टेस्ट ने मिलावट का पता लगाया.” CSE ने यह भी दावा किया कि भारत सरकार इस मिलावट से अवगत मालूम होती है और इसके बार में किसी जांच में कोई दिलचस्पी नहीं रखती है। 

CSE का यह भी कहना है कि, “हमने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत एक आवेदन दायर किया है। हमने FSSAI के आयात प्रभाग के साथ (RTI) के तहत एक आवेदन दायर किया है। इस पर FSSAI ने कहा है कि उसने RTI आवेदन को दूसरे डिवीजन को भेज दिया है, लेकिन उन्होंने यह बताने कि कोई परवाह नहीं की वह कुंसा डिविजन है।  जिससे यह साफ़ होता है कि FSSAI जानता है कि क्या चल रहा है, और वह हमें कोई भी जानकारी नहीं दे रहा है।” नारायण ने यह भी कहा कि चीन से गलत तरीके से शुगर सिरप का आयात रुकना चाहिए, जिससे कि इसका गलत इस्तेमाल न हो सके। 

डाबर, पतंजलि, इमामी ने किया जांच को सिरे से खारिज:

जहाँ डाबर के एक प्रवक्ता ने इस पर  कहा कि ‘हमारा शहद 100% शुद्ध और स्वदेशी है।  इसमें कोई शुगर या एनी कोई मिलावट नहीं की जाती। ‘ प्रवक्ता ने यह भी बताया कि शहद या सिरप चीन से आयात नहीं किया जाता और इसे पूरी तरह भारतीय मधुमक्खी पालकों से ही लिया जाता है।  डाबर ने इस तत्कातिथ जांच रिपोर्ट को “प्रेरित और ब्रांड की छवि खराब करने की एक नकरात्मक कोशिश’ बताया।  वहीं पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि CSE की रिपोर्ट, जर्मन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की एक ओछी मार्केटिंग चाल लगती है। ” बालकृष्ण ने यह भी कहा कि, “यह सारा तमाशा भारतीय शहद की छवि को खराब करने की कोशिश से की गयी लगती है। “