Tractor March
File Photo : PTI

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नयी दिल्ली. केंद्र सरकार (Central Goverment) के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसान संगठन (Farmers Organizations) के नेताओं ने सोमवार को कहा कि शांतिपूर्वक ट्रैक्टर रैली निकालना किसानों का संवैधानिक अधिकार है और 26 जनवरी को प्रस्तावित इस रैली में हजारों लोग भाग लेंगे। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों के राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश के बारे में फैसला करने का पहला पहला अधिकार दिल्ली पुलिस का है। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) पंजाब के महासचिव परमजीत सिंह ने कहा कि किसान राजपथ और उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्रों में रैली नहीं निकालने जा रहे।

उन्होंने कहा कि वे केवल दिल्ली में आउटर रिंग रोड पर रैली निकालेंगे और इससे आधिकारिक गणतंत्र दिवस परेड में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी। सिंह ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘हम दिल्ली की सीमाओं पर अटके हुए हैं। हमने इन सीमाओं पर बैठने का फैसला स्वयं नहीं किया था, हमें दिल्ली में प्रवेश करने से रोका गया। हम कानून-व्यवस्था बाधित किए बिना शांतिपूर्वक रैली निकालेंगे। हम हमारे संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करेंगे और निश्चित ही दिल्ली में प्रवेश करेंगे।”

अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष (पंजाब) लखबीर सिंह ने कहा कि किसान 26 जनवरी को आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर ट्राली निकालने के बाद प्रदर्शन स्थलों पर लौटेंगे। लखबीर ने कहा, ‘‘यदि दिल्ली पुलिस को गणतंत्र दिवस पर कानून-व्यवस्था को लेकर कोई समस्या है, तो वे संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बैठक कर सकते हैं और ट्रैक्टर रैली के लिए वैकल्पिक मार्गों के बारे में बता सकते हैं। इसके बाद हमारी किसान समिति इस पर फैसला करेगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय राजधानी में 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी।” उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और यह फैसला करने का पहला अधिकार पुलिस को है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। प्रस्तावित ट्रैक्टर या ट्रॉली रैली अथवा गणतंत्र दिवस पर समारोहों एवं सभाओं को बाधित करने की कोशिश करने पर तथा अन्य प्रकार के प्रदर्शनों पर रोक लगाने के लिये केंद्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि पुलिस के पास इस मामले से निपटने का पूरा अधिकार हैं।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान केन्द्र से कहा , ‘‘क्या उच्चतम न्यायालय यह बताएगा कि पुलिस की क्या शक्तियां हैं और वह इनका इस्तेमाल कैसे करेगी? हम आपको यह नहीं बताने जा रहे कि आपको क्या करना चाहिए।” उल्लेखनीय है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसान पिछले एक महीने से भी अधिक समय से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

सरकार और प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच 10वें दौर की वार्ता 19 जनवरी को होनी निर्धारित है। गतिरोध को दूर करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति भी उसी दिन अपनी पहली बैठक करेगी। केंद्र और 41 किसान यूनियनों के बीच पिछले नौ दौर की औपचारिक वार्ता से दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से जारी विरोध प्रदर्शनों को समाप्त करने के लिए कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया है क्योंकि किसान यूनियन तीनों कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर अड़े हुए हैं। न्यायालय ने गत 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीन कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी थी और गतिरोध के समाधान के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। हालांकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने पिछले सप्ताह खुद को समिति से अलग कर लिया था।