नयी दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने शुक्रवार को कहा कि किसानों (Farmer) की आड़ में कुछ ‘‘असामाजिक तत्व” (Anti-social elements) उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने आंदोलन कर रहे किसान संगठनों (Farmer Union) से ऐसे तत्वों को अपने मंच का दुरूपयोग नहीं करने देने की अपील की।
वहीं, खाद्य, रेलवे और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने आरोप लगाया कि प्रतीत होता है कि कुछ वामपंथी और माओवादी (Left and Maoists) तत्वों ने आंदोलन पर ‘कब्जा’ कर लिया है और किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के बजाए वे शायद कुछ और एजेंडा चला रहे हैं। आंदोलन कर रहे किसान संगठनों से बातचीत में तोमर के साथ गोयल भी शामिल थे।
गोयल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘भारत के लोग देख रहे हैं कि क्या चल रहा है। वामपंथियों-माओवादियों को देश में कहीं समर्थन नहीं मिल रहा, इसलिए वे किसानों के इस आंदोलन पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे। वे अपने एजेंडा के लिए इस मंच का दुरुपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं।”
तोमर ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘‘किसानों की आड़ में असामाजिक तत्व किसान आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। मेरी किसान भाइयों से अपील है कि वे सजग रहें एवं ऐसे असामाजिक तत्वों को अपना मंच प्रदान न करें।”
गौरतलब है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान पिछले कई दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। किसान संगठनों की अपनी मांगों को लेकर सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन बात नहीं बन पाई है।
तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनकी मांगों के मद्देनजर सरकार के साथ उनके प्रतिनिधियों से चर्चा जारी है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘किसानों की आपत्ति पर निराकरण का प्रस्ताव भी किसान यूनियन को भेजा गया है और आगे भी सरकार चर्चा के लिए तैयार है।”
तोमर ने कहा कि उनके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बार-बार कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी, इस पर कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष भी एमएसपी पर फसलों की खरीद बहुत अच्छे से हुई है। एमएसपी को हमने ही डेढ़ गुना किया है। अगर एमएसपी को लेकर उनके मन में कोई शंका है तो हम लिखित आश्वासन देने को भी तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘नए कृषि सुधार कानूनों से एपीएमसी मंडी में लगने वाला कमीशन देने को बाध्य नहीं होंगे किसान। उन्हें अपनी फसल के लिए अपनी मर्जी से मंडी और दाम चुनने की पूरी आजादी होगी।”