नयी दिल्ली. देश के प्रमुख दलित नेताओं में से एक केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान(Ramvilas Paswan) का बीते बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे। उनके सम्मान में शुक्रवार को राजकीय शोक की घोषणा की गयी है और इस दौरान तिरंगा आधा झुका रहेगा। उनके पुत्र और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने पिता के निधन की सूचना साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं। मिस यू पापा।”
पापा….अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं।
Miss you Papa… pic.twitter.com/Qc9wF6Jl6Z— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2020
लोजपा के संस्थापक और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पासवान कई सप्ताह से यहां के एक अस्पताल में भर्ती थे। हाल ही में उनके हृदय की सर्जरी हुई थी। फार्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट द्वारा जारी बयान के अनुसार, पिछले 24 घंटों में पासवान के स्वास्थ्य में गिरावट आयी और बृहस्पतिवार को शाम छह बजकर पांच मिनट (06:05 शाम) पर उन्होंने अंतिम सांस ली। समाजवादी आंदोलन के स्तंभों में से एक पासवान बाद के दिनों में बिहार के प्रमुख दलित नेता के रूप में उभरे और जल्दी ही राष्ट्रीय राजनीति में अपनी विशेष जगह बना ली। 1990 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से जुड़े मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने में पासवान की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। उनकी गणना सर्वाधिक सक्रिय तथा सबसे लंबे समय तक जनसेवा करने वाले सांसदों में की जाती है। वे वंचित वर्गों की आवाज़ मुखर करने वाले तथा हाशिए के लोगों के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे।
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 8, 2020
आपातकाल विरोधी आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों से लोकसेवा की सीख लेनेवाले पासवान जी फायरब्रांड समाजवादी के रूप मे उभरे। उनका जनता के साथ गहरा जुड़ाव था और वे जनहित के लिए सदा तत्पर रहे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदना।
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 8, 2020
पासवान के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लिखा है, ‘‘केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। उनकी गणना सर्वाधिक सक्रिय तथा सबसे लंबे समय तक जनसेवा करने वाले सांसदों में की जाती है। वे वंचित वर्गों की आवाज़ मुखर करने वाले तथा हाशिए के लोगों के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे।” उन्होंने लिखा है, ‘‘आपातकाल विरोधी आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों से लोकसेवा की सीख लेनेवाले पासवान जी फायरब्रांड समाजवादी के रूप मे उभरे। उनका जनता के साथ गहरा जुड़ाव था और वे जनहित के लिए सदा तत्पर रहे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदना।”
पासवान के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘दुख बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं; हमारे देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जो शायद कभी नहीं भरेगा।” उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘श्री रामविलास पासवान जी का निधन व्यक्तिगत क्षति है। मैंने एक ऐसा मित्र और सहकर्मी खोया है जो पूरे जुनून के साथ हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहता था कि प्रत्येक गरीब व्यक्ति सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करे।” प्रधानमंत्री ने कहा, पासवान ‘‘कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर राजनीति में ऊपर आए। युवा नेता के रूप में आपातकाल के दौरान उन्होंने निरंकुशता और हमारे लोकतंत्र पर प्रहार का विरोध किया था। वह उत्कृष्ट सांसद और मंत्री थे, जिन्होंने विभिन्न नीतिगत क्षेत्रों में चिरस्थायी योगदान दिया है।”
I am saddened beyond words. There is a void in our nation that will perhaps never be filled. Shri Ram Vilas Paswan Ji’s demise is a personal loss. I have lost a friend, valued colleague and someone who was extremely passionate to ensure every poor person leads a life of dignity. pic.twitter.com/2UUuPBjBrj
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘पासवान जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना अभूतपूर्व अनुभव था। मंत्रिमंडल की बैठकों के दौरान उनके हस्तक्षेप हमेशा गहन सोच वाले और व्यावहारिक हुआ करते थे। राजनीतिक बुद्धिमत्ता से लेकर सुशासन तक, वह हर बात में विलक्षण थे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।” केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सहयोगियों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों सहित तमाम नेताओं ने पासवान के निधन पर शोक जताया। खगड़िया में 1946 में जन्मे पासवान का चयन पुलिस सेवा में हो गया था लेकिन उन्होंने अपने मन की सुनी और राजनीति में चले आए। पहली बार 1969 में वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। वह आठ बार लोकसभा के सदस्य चुने गए और कई बार हाजीपुर संसदीय सीट से सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया।
Working together, shoulder to shoulder with Paswan Ji has been an incredible experience. His interventions during Cabinet Meetings were insightful. From political wisdom, statesmanship to governance issues, he was brilliant. Condolences to his family and supporters. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020
समाज के वंचित तबके से जुड़े लोगों के मुद्दे उठाने में सबसे आगे रहने वाले पासवान जीमीनी स्तर के मंझे हुए नेता थे जिनके संबंध सभी राजनीतिक दलों और गठबंधनों के साथ हमेशा मधुर बने रहे। अपने राज्य के प्रति उनके समर्थन के कारण पांच दशक लंबे राजनीतिक करियर में वह हमेशा केन्द्र की सभी सरकारों में शामिल रहे। वह 1989 से अपने अंतिम समय तक जनता दल से लेकर, कांग्रेस और भाजपा नीत राजग जैसी भिन्न और विपरीत विचाराधाओं वाली सरकारों का हिस्सा रहे हैं। पासवान का गठबंधन सहयोग चाहे कोई भी रहा हो, उन्होंने हमेशा गर्व के साथ स्वयं को समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष बताया।
वह वी. पी. सिंह, एच. डी. देवे गौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और वर्तमान में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए शुक्रवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलायी गयी है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार देर रात घोषणा की कि केन्द्रीय मंत्री पासवान के निधन पर उनके सम्मान में शुक्रवार को दिल्ली, सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में तिरंगा आधा झुका रहेगा। केन्द्रीय मंत्री का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया, ‘‘दिल्ली और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में, जहां हमेशा तिरंगा लहराता है, वहां नौ अक्टूबर को और उनके अंतिम संस्कार वाले दिन, जहां उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) आधा झुका रहेगा।” केन्द्रीय मंत्री पासवान का निधन उनके गृह राज्य बिहार में 28 अक्टूबर से तीन चरणों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हुआ है।