उन्नाव बलात्कार मामला : सेंगर को अपराह्न दो बजे सजा सुनाएगी अदालत

बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आज उन्नाव गैंगरेप मामले में सजा सुनायी जा सकती है। विदित हो कि सोमवार १६ दिसंबर कोदिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने उन्हें उपयुक्त मामले में दोषी माना था।

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नयी दिल्ली,  उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 2017 में एक महिला के साथ बलात्कार करने के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की अदालत शुक्रवार को अपराह्न दो बजे सजा सुनाएगी। जिला जज धर्मेश शर्मा ने कहा कि सजा अपराह्न दो बजे सुनायी जाएगी। अदालत ने भाजपा से निष्कासित विधायक सेंगर को सोमवार को बलात्कार का दोषी करार दिया था। घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी। 

नयी दिल्ली, बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आज उन्नाव गैंगरेप मामले में सजा सुनायी जा सकती है। विदित हो कि सोमवार 16 दिसंबर को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने उन्हें उपयुक्त मामले में दोषी माना था। अब आज उनकी सजा पर बहस होगी और बहुत मुमकिन है की उन्हें उम्रकैद हो। वैसे सीबीआई ने सेंगर के लिए उम्रकैद की ही मांग की थी। सीबीआई की दलील थी सेंगर को अधिकतम उम्र कैद की सजा दें क्योंकि यह एक व्यक्ति की व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई है। वही अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता और पोक्सो अधिनियम के तहत दुष्कर्म का दोषी करार दिया था। 

विदित ही की बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर ने 2017 में कथित तौर पर एक युवती का अपहरण करने के बाद उससे बलात्कार किया था। वहीं सेंगर को इस मामले के बाद अगस्त 2019 में बीजेपी ने से निष्कासित कर दिया था। सेंगर उप्र की बांगरमऊ विधानसभा सीट से चौथी बार विधायक बने थे। वैसे प्रकरण की सहअभियुक्‍त शशि सिंह को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया हैं . शशि सिंह हि वो महिला है जिसने नौकरी दिलाने के बहाने पीड़िता को कुलदीप सेंगर के पास लेकर गई थी, जिसके बाद सेंगर ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया था। हालाँकि पीड़िता की मां ने शशि सिंह को बरी किए जाने पर सवाल उठाया था। 
 
वहीं सेंगर पर आरोप लगाने वाली युवती की कार को 28 जुलाई में एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी। इस दुर्घटना में युवती की दो रिश्तेदार ख़त्म हो गए और उसके परिवार ने इसमें षड्यंत्र होने के भी आरोप सेंगर पर लगाए थे। वहीं उच्चतम न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले में दर्ज सभी पांच मामलों को एक अगस्त को उत्तरप्रदेश में लखनऊ की अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करते हुए निर्देश दिया था कि रोजाना आधार पर सुनवाई की जाए और इसे 45 दिनों के अंदर पूरा किया जाए। ज्ञात हो न्यायालय ने यह व्यवस्था पीड़िता द्वारा भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए दी थी। वही उसके बयान दर्ज करने के लिए दिल्ली में एम्स अस्पताल में एक विशेष अदालत भी बनाई गई थी। उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर युवती और उसके परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी गई है। 
 
चाहे जो भी हो इतना तो तय है कि अगर आज सब ठीक रहा तो इस मामले में सेंगर को आज सजा होनी है। वैसे ये भी देखने योग्य होगा कि इसके बाद क्या कुलदीप सेंगर, उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और क्या पीड़िता और उसका परिवार अगर जरुरत पड़ी तो क्या इस केस को आगे लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार होंगे।