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    अयोध्या. एक बड़ी खबर के अनुसार अयोध्या में निर्मित हो रहे राम मंदिर परिसर के विस्तार के लिए अब राम जन्मभूमि ट्रस्ट को ‘नजूल’ की ही जमीन बेच दी गई। अब इस जमीन के टुकड़े को लेकर एक नया ही राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। दरअसल देवेंद्र प्रसादाचार्य ने इस जमीन को दीप नारायण को बेचा और दीप ने इस भूमि को मंदिर ट्रस्ट को बेच दिया। दरअसल सेल डीड में देवेंद्र प्रसादाचार्य ने दावा किया था कि वह ही उस संपत्ति का मालिक है, और उसे उक्त जमीन बेचने का पूरा अधिकार है।

    अब अगर सरकारी ग्रांट ऐक्ट कि मानें तो , नजूल भूमि सरकार के स्वामित्व में ही होती है और इसे बेचा ही नहीं जा सकता। दरअसल सरकार इन जमीनों को विकास गतिविधियों के लिए लीज पर देती है। प्रसादाचार्य ने यह 890 वर्ग मीटर जमीन अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण को इस साल फरवरी में 20 लाख रुपये में बेचीं थी।

    DM सर्किल रेट में जमीन की कीमत है 35 लाख :

    अब दीप नारायण ने उसी जमीन को बीते मई में राम मंदिर ट्रस्ट को 2। 5 करोड़ रुपये में बेच दिया था। हालाँकि DM सर्किल रेट के हिसाब से इस जमीन की कीमत करीब 35 लाख रुपये है, लेकिन राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद अयोध्या में अब प्रॉपर्टी के रेट कई गुना ज्यादा हो चुके हैं।

    दीप नारायाण नहीं आ रहे सामने :  

    अब उक्त सौदे पर विवाद शुरू होने के बाद से ही प्रसादाचार्य और दीप नारायण दोनों ही मीडिया से बात करने से बच रहे  हैं। लेकिन, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाद में प्रसादाचार्य ने कुछ कैमरे के सामने ही स्वीकार किया है कि उन्हें जो भी पैसा मिला, इस जमीन को बेच दिया क्योंकि यह एक नजूल भूमि थी और इससे उन्हें कुछ भी नहीं प्राप्त हो रहा रहा था।

    भूलेख में भी इसे बताया गया नजूल की जमीन :

    इस मुद्दे पर देवेंद्र प्रसादाचार्य ने कहा, ” मुझे तो बस इतना पता था कि जमीन नजूल की है, मेरी नहीं। मुझे जो कुछ भी मिल रहा था वह काफी अच्छा था।” भूमि रेकॉर्ड की आधिकारिक वेबसाइट, भूलेख पर भूमि के इस टुकड़े को ‘नजूल’ की भूमि दर्शाया गया है।

    क्या है सेल डीड में :

    गौरतलब है कि बीते 20 फरवरी, 2021 को प्रसादाचार्य और दीप नारायण के बीच एक रजिस्टर्ड सेल डीड हुई। उस सेल डीड में आगे उल्लेख किया गया है कि भूमि सार्वजनिक उद्देश्य के उपयोग के लिए नहीं और किसी भी सरकारी विभाग द्वारा अधिग्रहण प्रक्रिया के दायरे से फिलहाल बाहर है। इसके अलावा इसमें यह भी लिखा  गया कि दीप नारायाण ने सौदे से पहले भूमि से संबंधित सभी तथ्यों को ठीक से जांचा और वे इस भूमि के स्वामित्व से भी पूरी तरह से संतुष्ट थे।

    ट्रस्ट का दावा, सभी दस्तावेज देखने के बाद खरीदी जमीन : 

    इधर इसके बाद दीप नारायण ने 11 मई, 2021 को इस जमीन को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को 2। 5 करोड़ रुपये में बेच दिया। इस मामले में भी, रजिस्ट्री रेकॉर्ड में नारायण का भी उल्लेख है कि उनके पास ट्रस्ट को जमीन बेचने का फिलहाल पूर्ण अधिकार है। हालाँकि ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय पर रजिस्ट्री में उल्लेख है कि, राय ने ट्रस्ट की ओर से जमीन खरीदने से पहले सभी तथ्यों की भली भाँती जांच की और फिर इसकी खरीदी हुई है। अब बात चाहे जो भी हो, लेकिन फिर भी बिना आग लगे धुआं नहीं उठता।