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हाथरस. एक तरफ जहाँ हाथरस (Hathras) कांड में एक बेटी कि इज्जत को तार तार कर करके के रख दिया गया है। वहीं इस मुश्किल घडी में उत्तर प्रदेश पुलिस (UttarPardesh Police) और उनकी कार्य कुशलता पर लगातार उंगलियाँ उठ रही हैं। जी हाँ,  उत्तर प्रदेश पुलिस पर अब यह आरोप भी लगा है कि उन्होंने अपनी मर्जी से हैवानियत की शिकार इस बेटी का बलपूर्वक अंतिम संस्कार कर दिया।यहीं नहीं, बताया जाता है कि लड़की के घरवाले पुलिस वालों से अपनी बेटी के आखिरी दर्शन के लिए समय भी माँगा लेकिन विभिन्न आरोपों से घिरी उत्तर प्रदेश पुलिस ने इसे भी गवारा नहीं समझा।

Video Courtsey: Tanushree Pandey

दरअसल दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत के बाद पुलिस शव को लेकर हाथरस पहुंची थी। पहुंचते पहुँचते उन्हें बहुत रात हो गयी थी। लोगों के हिसाब से रात के 12 बजकर 45 मिनट पर पुलिस एम्बुलेंस लेकर पहुंचे जिसको देखते ही वहां विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। यही नहीं वहां के ग्रामीण विरोध में जमीन पर लेट गए और पुलिस के साथ बहस भी होने लगी।

बताया जा रहा है कि मौके पर आये पुलिस कप्तान (SP)और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM)लड़की के बेबस पिता को अंतिम संस्कार के लिए तैयार करते रहे लेकिन लड़की के घरवाले बस इतना चाहते थे कि वो अपनी बेटी का रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करें। बताया जा रहा है कि परिजन शव को अपने घर लेकर जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस इसके लिए भी तैयार न हुई।

यह खबर भी आई है कि आखिर में रात को 2  बजकर 20 मिनट पर पुलिस वालों ने खुद ही मृत लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया और किसी को भी उसकी चिता के पास जाने तक नहीं दिया। जिसके कारण अब हाथरस में लोगों में काफी रोष है।

इधर इसके पहले दिल्ली पुलिस ने अपनी सफाई में कहा था कि, “परिवार के सदस्य (हाथरस गैंगरेप पीड़िता के) धरने पर नहीं थे (सफदरजंग अस्पताल के बाहर), वे जाना चाहते थे। विभिन्न समूहों ने इस मुद्दे को हाईजैक करने की कोशिश की। बाद में, परिवार को यकीन हो गया और उन्होंने एसडीएम और सर्कल अधिकारी, हाथरस, यूपी के साथ जाने दिया।”

मेडिकल जाँच में बलात्कार की कोई पुष्टि नही 

इधर आईजी अलीगढ़ पीयूष मोर्डिया ने बीते मंगलवार कहा था कि , “14 सितंबर को, पीड़ित के भाई ने शिकायत दर्ज की, कि एक व्यक्ति ने अपनी बहन की गला घोंटकर हत्या करने की कोशिश की। उसके बाद विक्टिम को एक अस्पताल में भेज दिया गया। उसने अपने बयान में कहा कि उस आदमी ने भी उसे परेशान किया था, और कोई अन्य आरोप नहीं लगाया।”

उन्होंने कहा, “22 सितंबर को, पीड़िता ने 3 अन्य व्यक्तियों का नाम लिया और बलात्कार के आरोप लगाए। मेडिकल जांच में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई। जाँच के लिए नमूने फोरेंसिक लैब में भेजे गए हैं, रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। इसी के साथ सभी 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।” 

दिल्ली और उत्तरप्रदेश पुलिस पर उठ रहे सवाल 

एक तरफ दिल्ली पुलिस के आला अफसर लाख बहाने देकर अपना पीछा छुड़ाने में लगी है वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस भी अब इस मामले को ज्यादा तूल देने से झिझक रही है। रही बात उस पीड़ित लड़की के अंतिम संस्कार की तो इस पर अब UP प्रशासन की यह सफाई है कि घरवालों के सहयोग से ही लड़की का अंतिम संस्कार पूर्ण किया गया है।

चाहे जो हो लेकिन इतना तो तय है कि इस पुरे घटना में दिल्ली और उत्तरप्रदेश पुलिस दोनों ही सवालों के कठघरे में खड़ी है। वहीं एक बार फिर योगी सरकार उत्तरप्रदेश में हो रहे अपराधो को लेकर लापरवाह सी दिख रही है। इन सबके बीच एक गरीब परिवार आंसू पोंछते हुए अपनी बेटी पर हुए अत्याचारों की न्याय के लिए बेबस प्रशासन कि तरफ बड़ी आस के साथ देख रहा है । वहीं अब मानवता भी एक बार फिर से शर्मसार सी खड़ी  है।