Varun Gandhi
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नई दिल्ली. भाजपा सांसद वरुण गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सभी वयस्क लोगों का अंग दाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनिवार्यता संबंधी प्रस्ताव वाले एक गैर सरकारी विधेयक को वह संसद में पेश करेंगे। संसद के आगामी मॉनसून सत्र में वरुण ‘‘मानव अंगों का दान और प्रतिरोपण विधेयक, 2020” में पेश कर सकते हैं। यह विधेयक प्रस्ताव करता है कि हर व्यक्ति स्वत: ही अंग दाता बन जाए, जब तक कि वह इसकी परिधि से खुद को बाहर न कर ले। भारत में अंगों की कमी और उसकी मांग व आपूर्ति में भारी अंतर का हवाला देते हुए वरुण ने कहा कि अंगदान को अनिवार्य बनाए जाने संबंधी मजबूत नीतियों की कमी के चलते देश में प्रति वर्ष पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष प्रतिरोपण के लिए दो लाख गुर्दा, 50,000 हृदय और 50,000 यकृत की आवश्कता होती है। इस अंतर को पाटने और अंगों की अनुपलब्धता के चलते होने वाली मौतों की संख्या को कम करने के मकसद से वरुण ने ट्विटर पर घोषणा की कि वह इस संबंध में गैर सरकारी विधेयक लेकर आएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक गैर सरकारी विधेयक पेश करूंगा, जिसमें सभी वयस्क नागरिकों के लिए राष्ट्रीय मानव अंग दान रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने की अनिवार्यता का प्रस्ताव है। कोई चाहे तो इच्छापूर्वक खुद को इससे बाहर रख सकता है। इससे मानव अंगों की अनुपलब्धता की वजह से होने वाली मौतों की संख्या को कम करना सुनिश्चित किया जा सकेगा।”

उन्होंने कहा, ‘‘यह विधेयक 18 साल से अधिक की उम्र के सभी नागरिकों का अंगदान दाता के रूप में पंजीकरण अनिवार्य करती है, जब तक कि उस व्यक्ति द्वारा आपत्ति न दर्ज कराई जाए।” पीलीभीत के सांसद ने कहा कि शवों के अंगों के दान को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीति की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भारत में अंगदान अधिकांशत: जीवित अंग दाता ही करते हैं। मृत व्यक्तियों के अंगदान की दर बहुत कम है जो प्रति 10 लाख की आबादी का 0.8 हिस्सा ही है। अंगदान नीति में बदलाव की वकालत करते हुए वरुण ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में लोग चाहें तो अंगदान का विकल्प चुनते हैं जबकि होना ये चाहिए कि कानूनन हर एक व्यक्ति स्वत: ही अंग दाता बनें और चाहे तो इससे खुद को बाहर रख सके। इससे शवों के दान की दर का बढ़ना भी सुनिश्चित हो सकेगा।

अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक इंसान (मृत और कभी-कभी जीवित भी) से स्वस्थ अंगों और ऊतकों को ले लिया जाता है और फिर इन अंगों को किसी दूसरे जरूरतमंद व्यक्ति में प्रतिरोपित किया जाता है। इस तरह अंगदान से किसी दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को बचाया जा सकता है। संसद के ऐसे सदस्य जो केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं हैं, उन्हें संसद का गैर सरकारी सदस्य कहा जाता है। इन सदस्यों द्वारा पेश किये जाने वाले विधेयक को गैर सरकारी विधेयक कहते हैं।(एजेंसी)