View of Delhi's Red Fort was like the Capitol Hill violence of America, know the full similarities

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नई दिल्ली: 6 जनवरी, ठीक 20 दिन पहले अमेरिका (America) के कैपिटल बिल्डिंग (Capitol Building) में हिंसा का ऐसा रूप देखा गया था जैसे अमेरिका में पहला कभी भी नहीं देखा था। कई नेताओं ने इस हिंसा के लिए सीधे तौर पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को ठहराया था। कैपिटल बिल्डिंग की घटना दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई थी और 26 जनवरी यानि भारत (India) के गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर अब यह घटना एक बार फिर से ताज़ा हो गई है। सोशल मीडिया कैपिटल हिल और लाल किले (Red Fort) पर पहुंचीं भीड़ में समानता की चर्चा हो रही है। 

कैपिटल बिल्डिंग पर हुआ था कब्ज़ा, लाल किले पर पहुंची भीड़ 

जिस तरह से आज लाल किले पर भीड़ ने उपद्रव किया, कुछ उसी तरह अमेरिका में 6 जनवरी को ट्रंप समर्थकों ने हंगामा किया था। ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) की आड़ में हिंसा (Violence) हुई कुछ वैसा ही नज़ार अमेरिका में 6 जनवरी को हुआ था। ट्रंप समर्थकों ने अमेरिका के वाशिंगटन की अमेरिकी सदन (कैपिटल बिल्डिंग) के पश्चिमी और पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने ने वहां पहुंच कर जम कर उथपाथ मचाया था और कैपिटल हिल को अपने कब्ज़े में लिया था। इस बीच वहां तोड़फोड़ भी हुई थी। 

कैपिटल हिल की ऊंची दीवारों पर चढ़ गई थी भीड़, लाल किले के पोल पर झंडा फैराया 

वाशिंगटन (Washington) में मार्च निकालते समय जब प्रदर्शनकारी कैपिटल इमारत तक पहुंचे तो वहां सुरक्षाकर्मी मौजूद थे। कई प्रयासों के बाद भी भीड़ नहीं रुकी। अमेरिका से 6 जनवरी को सामने आयीं तस्वीरें बयान करतीं हैं की भीड़ किस कदर बेकाबू हो चुकी थी और कैपिटल हिल की ऊंची दीवारों पर चढ़ कर प्रदर्शन कर रही थी। वहीं 26 जनवरी को सामने आयीं तस्वीरों में देखा जा सकता है कि भीड़ को पुलिस ने रोकना के प्रयास किए, इस प्रयास में आंसू गैस के गोले तक छोड़े गए लेकिन भीड़ नहीं मानी और लाल किले तक जा पहुंची। इसके बाद एक शख्स उस ऊंची पोल पर चढ़ गया जहां झंडा फैराया जाता है और काफी समय तक वहां झंडा फैराता रहा। 

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सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं आई काम 

6 जनवरी को अमेरिका में यह फाइनल होने वाला था कि बाइडन की सरकार 20 जनवरी को बनेगी या फिर ट्रंप के अड़ंगे के बाद कुछ और समय लगेगा। उस दिन कैपिटल बिल्डिंग में यूएस कांग्रेस इलेक्टोरल कॉलेज पर बहस कर रही थी। इस वजह से सुरक्षा भी कड़ी थी। इसके बावजूद उपद्रवियों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और अंदर तक पहुंच गए। हिंसा की चेतावनी दिए जाने के बाद भी पुलिस उन्हें नहीं रोक पाई थी। 26 जनवरी को एक तरफ देश गणतंत्र दिवस मना रहा था। हालांकि ट्रैक्टर रैली पहले से ही प्लैनेड थी जिसके मद्देनज़र आसपास के इलाकों सहित दिल्ली में होने वाली परेड के चलते सुरक्षा चाक चौबंद थी। ऐसे में भारी पुलिस बल भी दिल्ली में तैनात था लेकिन बावजूद इसके भीड़ उग्र हो गई, पुलिस बैरिकेड भीड़ ने हटा दिए और लाल किले तक भीड़ जा पहुंची।