Uddhav Thackeray

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    मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) ने बुधवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के खिलाफ “पक्षपातपूर्ण” रवैया अपना रहा है। पार्टी ने यह आरोप तब लगाया है जब आयोग ने हाल ही में पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री की कुछ टिप्पणियों को लेकर उन पर 24 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से रोक लगा दी थी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) जैसे संवैधानिक निकाय के कद की राजनीतिक लाभ के लिए अवहेलना नहीं की जानी चाहिए।   

    पश्चिम बंगाल में फिलहाल विधानसभा चुनाव जारी हैं और शिवसेना ने, जो कि चुनाव नहीं लड़ रही है, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख बनर्जी को अपना समर्थन दिया है। मराठी दैनिक में कहा गया, “निर्वाचन आयोग ममता बनर्जी के साथ पक्षपात कर रहा है। आयोग से हमारा हाथ जोड़कर आग्रह है कि वह सिर्फ भाजपा की नहीं, बल्कि सबकी सुने। उसे पक्षपाती नहीं होना चाहिए।” संपादकीय में दावा किया गया है कि हर किसी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान मर्यादा लांघी है लेकिन केवल बनर्जी को इसकी सजा दी जा रही है।  

    इसमें कहा गया, “निर्वाचन आयोग ने कानून के समक्ष सबको बराबर बताने वाले मिथक को तोड़ दिया है और इसके लिए उसने पश्चिम बंगाल की भूमि को चुना है। ऐसा लगता है कि वह भूल गया है कि पश्चिम बंगाल क्रांतिकारियों और बागियों की भूमि है।” संपादकीय में कहा गया कि ममता बनर्जी की अकेले की लड़ाई को इतिहास में याद किया जाएगा भले ही चुनाव का परिणाम कुछ भी हो।  

    अखबार ने कहा कि चुनाव आयोग बनर्जी द्वारा आदर्श आचार संहिता को “मोदी आचार संहिता” बताने से खफा मालूम होता है। पार्टी ने कहा,‘‘ लेकिन, पश्चिम बंगाल में जमीनी हकीकत चिंताजनक है क्योंकि केंद्र द्वारा तैनात सीआरपीएफ जवानों ने हिंसा को नियंत्रित करने की बजाय भीड़ पर गोली चला दी।” शिवसेना ने कहा कि केंद्र को इस हिंसा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। (एजेंसी)