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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भाजपा की संस्थापक सदस्य रहीं ग्वालियर की राजमाता विजया राजे सिंधिया के जन्म शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में 100 रुपये का स्मृति सिक्का जारी किया और कहा कि सुरक्षित, समृद्ध भारत के उनके सपने को केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत की सफलता से पूरा करेगी। वीडियो कांफ्रेंस से आयोजित इस समारोह में सिंधिया परिवार के सदस्यों के साथ-साथ कई राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपालों सहित देश के अन्य भागों से कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिए कश्मीर को लेकर या फिर अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए उनके संघर्ष हों, उनकी जन्मशताब्दी के साल में ही उनके ये सपने भी पूरे हुए।

राजमाता सिंधिया को त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति बताते हुए मोदी ने कहा कि उनके पास सभी सुख सुविधाएं उपलब्ध थीं, इसके बावजूद उन्होंने आम लोगों और गांव, गरीब के साथ जुड़कर जीवन जिया उनके लिए अपना जीवन समर्पित किया उन्होंने कहा, ‘‘राजमाता ने साबित किया कि जनप्रतिनिधि के लिए राजसत्ता नहीं, जनसेवा सबसे महत्वपूर्ण है। वह एक राज परिवार की महारानी थी लेकिन राष्ट्र के भविष्य के लिए राजमाता ने अपना वर्तमान समर्पित कर दिया था। देश की भावी पीढ़ी के लिए उन्होंने अपना हर सुख त्याग दिया था। राजमाता ने पद और प्रतिष्ठा के लिए न कभी जीवन जिया ना ही कभी राजनीति की।” प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘राजमाता के आशीर्वाद से देश आज विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। गांव, गरीब, दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, महिलाएं आज देश की पहली प्राथमिकता में हैं।

राजमाता के सपनों को पूरा करने के लिए हम सभी को इसी गति से आगे बढ़ना है। सुरक्षित और समृद्ध भारत उनका सपना था और उनके सपनों को हम आत्मनिर्भर भारत की सफलता से पूरा करेंगे।” मोदी ने कहा कि राजमाता सिंधिया ने एक पाठ यह भी पढ़ाया कि जन सेवा के लिए किसी ‘‘खास परिवार” में जन्म लेना ही जरूरी नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी साधारण से साधारण व्यक्ति जिसके भीतर योग्यता है, प्रतिभा है, देश सेवा की भावना है, वह इस लोकतंत्र में सत्ता को भी सेवा का माध्यम बना सकता है।” प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान राजमाता के जीवन से जुड़ी अपनी यादें भी साझा की और कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के इतने दशकों तक, भारतीय राजनीति के हर अहम पड़ाव की वो साक्षी रहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘आजादी से पहले विदेशी वस्त्रों की होली जलाने से लेकर आपातकाल और राम मंदिर आंदोलन तक, राजमाता के अनुभवों का व्यापक विस्तार रहा है।” उन्होंने कहा कि यह अद्भुत संयोग ही है उनकी जन्म शताब्दी के साल में ही कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने जो संघर्ष किया था, उनका यह सपना भी पूरा हुआ। केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इस मौके पर कहा कि राज परिवार में जन्म लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षण करने वालीं राजमाता विजया राजे सिंधिया एक विरल व्यक्तित्व थीं। उन्होंने कहा, ‘‘वे वात्सल्य की प्रतिमूर्ति थीं। अपने सार्वजनिक जीवन में उन्होंने गरीबों, वंचितों, पीड़ितों के लिए निरंतर कल्याणकारी कार्य किए।”

विजयाराजे सिंधिया ग्वालियर राजघराने की राजमाता होने के साथ-साथ भाजपा की संस्थापक सदस्यों में से एक रही थीं। वह पांच बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा की सदस्य निर्वाचित हुई थीं। विजया राजे सिंधिया का जन्म 12 अक्टूबर 1919 को मध्य प्रदेश के सागर में हुआ था। उनके बेटे माधव राव सिंधिया कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया उनकी पुत्री हैं। माधव राव के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया लंबे समय तक कांग्रेस में रहने के बाद अब भाजपा में शामिल हो गए हैं।(एजेंसी)